इंदिरा एकादशी आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को कहते हैं। श्राद्ध पक्ष में इस एकादशी के पड़ने से इसे श्राद्ध एकादशी के नाम से भी जानते हैं। पितृपक्ष में इंदिरा एकादशी का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस व्रत को रखने से व्यक्ति के पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस साल इंदिरा एकादशी पर विशेष संयोग बन रहा है।
इंदिरा एकादशी का व्रत भगवान विष्णु और पितरों का आशीर्वाद पाने के लिए रखा जाता है। खास बात यह है कि इस व्रत को अगले दिन सूर्योदय के बाद यानी द्वादशी के दिन पारण मुहूर्त में ही खोलते हैं। अगर द्वादशी तिथि सूर्योदय से पहले समाप्त हो गई तो एकादशी व्रत का पारण सूर्योदय के बाद ही होता है।
इंदिरा एकादशी पूजा मूहूर्त-
एकादशी प्रारम्भ: 13 सितंबर की सुबह 04:13 मिनट पर
एकादशी समाप्त: 14 सितंबर की सुबह 03 बजकर 16 मिनट तक
पारण का समय: 14 सितंबर को दोपहर 12 बजकर 59 मिनट से शाम 03 बजकर 27 मिनट तक।
इंदिरा एकादशी पूजा विधि-
सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करके सूर्य देवता को अर्घ्य दें।
इसके बाद पितरों का श्राद्ध करें।
भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करें।
ब्राह्मण को भोजन खिलाकर दान आदि दें।
इंदिरा एकादशी व्रत कथा सुने या पढ़ें।
द्वादशी के दिन शुभ मुहूर्त में एकादशी व्रत का पारण करें।