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जितिया व्रत से जुड़ी ये जरूरी बातें, व्रत महत्व से लेकर शुभ मुहूर्त तक

हर साल अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के जीवित्पुत्रिका व्रत होता है। इसे जिउतिया या जितिया व्रत भी कहा जाता है। जितिया व्रत को माताएं अपनी संतान के दीर्घ, आरोग्य और सुखमय जीवन के लिए व्रत रखती हैं। जितिया व्रत पर भी छठ पूजा की तरह नहाए-खाए की परंपरा होती है। इस साल जितिया व्रत 10 सितंबर को रखा जाएगा। जिसे नवमी तिथि यानी अगले दिन पारण किया जाता है। आज सप्तमी तिथि यानी 9 सितंबर को नहाय-खाए के साथ जीवित्पुत्रिका व्रत शुरू हो जाएगा। आज माताएं नहाए-खाए की परपंरा पूरी करेंगी। जानिए जितिया व्रत से जुड़ी जरूरी बातें-

आज नहाए-खाए-

जितिया व्रत के पहले यानी नहाए खाए को सूर्यास्त के बाद कुछ खाना नहीं चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से व्रत खंडित हो जाता है।

तीन दिन तक चलता है व्रत-

जितिया व्रत तीन दिनों तक चलता है। पहला दिन नहाए-खाए, दूसरा दिन जितिया निर्जला व्रत और तीसरे दिन पारण किया जाता है।

जितिया व्रत का शुभ मुहूर्त-

10 सितंबर- दोपहर 2 बजकर 5 मिनट से अगले दिन 11 सितंबर को 4 बजकर 34 मिनट तक रहेगा।
पारण का शुभ मुहूर्त- 11 सितंबर को दोपहर 12 बजे तक पारण किया जाएगा।

जितिया व्रत का महत्व-

जीवित्पुत्रिका व्रत की कथा महाभारत से जुड़ी है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, अश्वत्थामा ने बदला लेने के लिए उत्तरा की गर्भ में पल रही संतान को मारने के लिए ब्रह्नास्त्र का इस्तेमाल किया। उत्तरा के पुत्र का जन्म लेना जरूरी था। फिर भगवान श्रीकृष्ण ने उस बच्चे को गर्भ में ही दोबारा जीवन दिया। गर्भ में मृत्यु को प्राप्त कर फिर से जीवन मिलने के कारण उसका नाम जीवित पुत्रिका रखा गया। बाद में यह राजा परीक्षित के नाम से जाना गया।