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पूर्वज के ब्रह्मलीन तिथि का पता नहीं है तो 17 को करें श्राद्ध

अगर दिवंगत आत्मा के ब्रह्मलीन होने की तिथि पता नहीं है तो 17 सितंबर को श्राद्ध कर सकते हैं क्योंकि इस दिन अमावस्या है और इसे सर्व पितृ श्राद्ध तिथि माना गया है। श्राद्ध पक्ष 18 सितंबर तक चलेंगे। दिवंगत परिजनों की स्मृति में तर्पण और श्राद्ध कर्म की तिथि अनुसार करने की परंपरा है।

लेकिन कई बार तिथियां पता नहीं होने अथवा दिवंगत के परिवार में संतान नहीं होने सहित कई समस्याएं होती हैं। ऐसे में अमावस्या को श्राद्ध का विधान है। ज्योतिषी रामभरोसी भारद्वाज के अनुसार जिन पूर्वजों के दाग तिथि नहीं मालूम हो अथवा भूले-भटके पूर्वजों के लिए भी अमावस्या के दिन श्राद्ध और तर्पण किया जा सकता है।

पुत्र नहीं हाेने की स्थिति में मातामह यानी दादी अथवा परदादी के श्राद्ध के दिन नाती तर्पण कर सकता है। नवमी या अमावस्या के दिन सर्व पितृ श्राद्ध पर तिथि पता नहीं होने पर भी श्राद्ध कर्म हो सकता है। जिनके नाम और गोत्र का पता नहीं हो, उनका देवताओं के नाम पर भी तर्पण कर सकते है। परंपरा है कि लोग अपनी संतान नहीं होने पर दत्तक गोद लेते थे ताकि मृत्यु के बाद वाे पिंडदान कर सके। मान्यतानुसार दत्तक पुत्र दो पीढ़ी तक श्राद्ध कर सकता है।