कर्नाटक के हम्पी में मौजूद विरुपाक्ष मंदिर भारत के प्रसिद्ध ऐतिहासिक मंदिरों में से एक है। ये मंदिर उत्तरी कर्नाटक के बेल्लारी जिले में बेंगलुरु से करीब 353 किमी दूर है। वहीं, बेल्लारी से इसकी दूरी 74 किमी है। माना जाता है हम्पी ही रामायण काल का किष्किंधा है। इस मंदिर का इतिहास प्रसिद्ध विजयनगर साम्राज्य से जुड़ा है। यहां भगवान शिव के विरुपाक्ष रूप की पूजा की जाती है। ये मंदिर द्रविड़ स्थापत्य शैली में बना हुआ है। 500 साल पहले इस मंदिर का गोपुरम बना था। इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग की कहानी रावण और भगवान शिव से जुड़ी हुई है।
भगवान शिव ने रावण को दिया था शिवलिंग
यह मंदिर भगवान विरुपाक्ष और उनकी पत्नी देवी पंपा को समर्पित है। विरुपाक्ष, भगवान शिव का ही एक रूप है। इस मंदिर की मुख्य विशेषता यहां का शिवलिंग है जो दक्षिण की ओर झुका हुआ है। पौराणिक कथाओं के मुताबिक रावण जब शिवजी के दिए हुए शिवलिंग को लेकर लंका जा रहा था तो यहां पर रुका था। उसने इस जगह एक बूढ़े आदमी को शिवलिंग पकड़ने के लिए दिया था। उस बूढ़े आदमी ने शिवलिंग को जमीन पर रख दिया, तब से वह शिवलिंग यहीं जम गया और लाख कोशिशों के बाद भी हिलाया नहीं जा सका।