बरसों से रामलीला से जुडे़ कलाकार इस साल रामलीला मंचन नहीं होने से उदास है, क्योंकि रामलीला मंचन के लिए ये कलाकार पिछले दो माह से तैयारी कर रहे थे, लेकिन कोरोना गाइडलाइन के चलते इस साल रामलीला का आयोजन नहीं होगा।
राम लीला का मंचन वर्ष 1905 से होता आ रहा है। रामलीला समिति के फैसले से कलाकार उदास हैं। क्योंकि पिछले डेढ़ दो महीने से तैयारी कर रहे थे। चौपाई, दोहे याद किए जा रहे थे। अभिनय का अभ्यास कर रहे थे, लेकिन अब निराश हैं। इस बार रावण और मेघनाथ के पुतले भी नहीं बन रहे हैं।
समिति के कार्यकारी मंत्री श्यामसुंदर कटारा ने बताया कि रामलीला में करीब 30 पात्र विभिन्न किरदार अदा करते हैं। किंतु इस बार मंचन का कोई चांस नहीं हैं। रावण का पुतला इन दिनों बनने लग जाता था पर इस बार ऐसा नहीं हो रहा है। अध्यक्ष ब्रजेश कौशिक ने बताया कि नवरात्र काल में राम चरित मानस का सस्वर वाचन कर पाठ कराया जाएगा।
एक नवांड्ग परायण का प्रतिदिन पाठ होगा। इस दौरान नवरात्रों में हम सभी कलाकार आरती करेंगे, और श्री राम चन्द्र का पाठ आयोजित करेंगे। भरतपुर की रामलीला अपने आप में अनूठी है। 115 साल पुरानी इस रामलीला में पात्र पद्य में संवाद बोलते हैं। यह ध्वनि नियम सिद्धांत पर आधारित है। इससे वातावरण शुद्ध होता है। इस शैली में रामलीला भरतपुर के अलावा काशी के रामनगर में होती है।