105 Views
करवा चौथ हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। महिलाएं करवाचौथ का व्रत बड़ी श्रद्धा एवं उत्साह के साथ करती हैं। जो अपने पति की आयु, स्वास्थ्य व खुद के सौभाग्यवती होने की कामना करती हैं। करवा चौथ पति की लंबी आयु के लिए रखा जाने वाला व्रत है, इस बात को तो सभी जानते हैं। लेकिन हम यहां आपको इस व्रत के महत्त्व के बारें में तो बता ही रहे हैं। साथ ही इस व्रत की शुरूआत के बारे में भी बताएंगे।
छांदोग्य उपनिषद के अनुसार करवा चौथ के दिन व्रत रखने वाली चंद्रमा में पुरुष रूपी ब्रह्मा की उपासना करने से सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। इससे जीवन के सभी तरह के कष्टों का निवारण तो होता ही है साथ ही लंबी उम्र भी प्राप्त होती है। करवा चौथ के व्रत में शिव, पार्वती, कार्तिकेय, गणेश तथा चंद्रमा का पूजन करना चाहिए। चंद्रोदय के बाद चंद्रमा को अर्घ्य देकर पूजा होती है। पूजा के बाद मिट्टी के करवे में चावल,उड़द की दाल, सुहाग की सामग्री रखकर सास अथवा सास के समकक्ष किसी सुहागिन के पांव छूकर सुहाग सामग्री भेंट करनी चाहिए।
कैसे हुआ इस व्रत का उदय
व्रत के बारे में महाभारत से संबंधित पौराणिक कथा के अनुसार पांडव पुत्र अर्जुन तपस्या करने नीलगिरी पर्वत पर चले गए। दूसरी ओर बाकी पांडवों पर कई प्रकार के संकट आन पड़ते हैं। अर्जुन की पत्नी द्रौपदी भगवान श्रीकृष्ण से उपाय पूछती हैं। तभी उनके सखा श्रीकृष्ण उन्हें कार्तिक कृष्ण चतुर्थी के दिन करवाचौथ का व्रत करने के बारे में बताते हैं, जिससे अर्जुन के सभी कष्ट दूर होगें।
श्रीकृष्ण द्वारा बताए गए विधि विधान से द्रौपदी करवाचौथ का व्रत रखती हैं जिससे उनके समस्त कष्ट दूर हो जाते हैं। इस प्रकार की कथाओं से करवा चौथ का महत्त्व हम सबके सामने आ जाता है। यह व्रत यह कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है।