उत्तर प्रदेश के अयोध्या में होने वाले चौथे दीपोत्सव में इस बार कोरोना काल के चलते आम पर्यटकों को शामिल होने की अनुमति नहीं है, लेकिन नगर निगम की तरफ से इस वर्ष अप्रत्यक्ष रूप से गैर प्रांतों के भक्तों को भी शामिल करने की योजना बनाई गई है। इसमें सामाजिक संगठन गैर प्रान्तों से रामनगरी के दीपोत्सव के लिए 30 हजार दीप एकत्रित कर रहे हैं। इन दीपों के लिए एक घाट आरक्षित किया गया है।
रामनगरी में चौथे दीपोत्सव को और भी खास बनाने की तैयारी तेज हो गई है। चाहे वह दीपोत्सव की जिम्मेदारी संभालने वाला अवध विश्वविद्यालय हो या शासन-प्रशासन सभी अपने-अपने स्तर से दीपोत्सव को दिव्य व भव्य बनाने के लिए तैयारी में जुट गए हैं। इस बार निगम प्रशासन ने दीपोत्सव को पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने संबंध में अहम फैसला लिया है।
नगर निगम को सौंपेंगे स्वयंसेवी संगठन गैर प्रांतों से एकत्र दीपक
नगर निगम प्रशासन ने तय किया है कि इस बार कोरोना के चलते विभिन्न पर्यटक और श्रद्धालु अयोध्या नहीं पहुंच सकेंगें, लेकिन उनके दीप यहां जलेंगे। इसके लिए राजस्थान व गुजरात समेत विभिन्न प्रांतों में दीप एकत्रित किए जा रहे हैं। दीप एकत्रित करने वाली संस्थाएं अपने प्रदेश के जिलों में रामनगरी के दीपोत्सव के लिए 30 हजार दीप एकत्रित कर रहे हैं। यह सभी संस्थाएं नगर निगम प्रशासन के संपर्क में हैं। इस सभी संस्थाओं के दीप जलाने की जिम्मेदारी नगर निगम ने ली है।
मिलेगा राष्ट्रीय मेले का स्वरूप
इन सभी दीपों को राम की पैड़ी पर निर्धारित 24 घाटों में से एक घाट को आरक्षित किया जाएगा और इन दीपों को भी अवध विवि के वॉलनटिअर्स रोशन करेंगे। नगर निगम प्रशासन को मानाना है कि इससे दीपोत्सव की आभा देश के सभी प्रदेशों तक पहुंचेगी और दीपोत्सव राजकीय मेला से आगे बढ़कर राष्ट्रीय मेले के रूप में विकसित होगा। यह पर्यटकों को भी बड़ी संख्या में लुभाएगा। नगर निगम प्रशासन का कहना है कि यह कार्यक्रम अनवरत जारी रहेगा।