दीपावली के दो दिन पहले पड़ने वाला धनतेरस का पर्व इस बार दिवाली के ठीक एक दिन पहले मनाया जाएगा। त्रयोदशी के उदया तिथि और प्रदोष काल में होने की वजह से 499 साल बाद ऐसा योग बन रहा है। इससे पहले ऐसा योग सन 1521 में बना था। इस बार 13 नवंबर को धनतेरस के साथ ही शाम को नरक चतुर्दशी की भी पूजा होगी। 14 को स्वाती नक्षत्र में दीपावली का पूजन होगा।
चिंतक इंस्टीट्यूट ऑफ वैदिक साइंसेज के संस्थापक अध्यक्ष ज्योतिषाचार्य रमेश चिंतक और आचार्य मनोज कुमार द्विवेदी ने बताया कि त्रयोदशी 12 नवंबर की रात 9:30 बजे शुरू होगी जो 13 नवंबर की शाम 5:59 बजे तक रहेगी। त्रयोदशी उदया तिथि और प्रदोष काल में पड़ रही है। इस वजह से धनतेरस दीपावली के एक दिन पहले शुक्रवार को मनाया जाएगा। इसी दिन शाम 5:59 बजे से चतुर्दशी लगेगी, जो 14 की दोपहर 2:18 बजे तक रहेगी। ऐसे में जो मासिक शिवरात्रि का व्रत करते हैं, उन्हें 13 नवंबर को व्रत करना चाहिए।
रमेश चिंतक ने बताया कि कार्तिक मास की अमावस्या को स्वाती नक्षत्र में माता लक्ष्मी पृथ्वी पर आती हैं। 14 नवंबर को दोपहर 2:18 बजे से अमावस्या लग जाएगी। स्वाती नक्षत्र रात 8:20 बजे तक रहेगा। ऐसे में लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त शाम 5:22 बजे से 7:12 बजे तक उत्तम होगा। व्यावसायिक स्थानों में लक्ष्मी पूजन दोपहर तीन बजे से रात 8:09 बजे तक कर सकते हैं। वहीं आचार्य पवन तिवारी ने बताया कि हिंदू धर्म में धनतेरस पर नया सामान खरीदना शुभ माना जाता है। खरीदारी का शुभ मुहूर्त सुबह 6:01 बजे से लेकर रात 8:33 बजे तक रहेगा।