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2020 के बाद 16 जुलाई 2038 में यानी 18 साल बाद इसी तरह का योग बनेगा। उस समय भी सूर्य-राहु की मिथुन राशि में, चंद्र-केतु की युति धनु राशि में होगी और गुरु पूर्णिमा पर मांद्य चंद्र ग्रहण होगा।
किसे कहते हैं उपच्छाया ग्रहण?
ये मांद्य यानी उपच्छाया चंद्र ग्रहण है। मांद्य का अर्थ है न्यूनतम यानी मंद होने की क्रिया। इसलिए इस चंद्र ग्रहण को लेकर सूतक नहीं रहेगा। इसका किसी भी तरह का धार्मिक असर नहीं होगा। इस ग्रहण में चंद्र के आगे पृथ्वी की धूल जैसी छाया रहेगी। ये ग्रहण विशेष उपकरणों से आसानी से समझा जा सकेगा।