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पूरी दुनिया में कोरोना वायरस का कहर अभी भी जारी है। हालांकि कई देशों में कोविड 19 के संक्रमण की गति धीमी पड़ रही है। लेकिन हर दिन हजारों की संख्या में नए मामले आ रहे हैं। इस बीच कोरोना टेस्ट को लेकर एक बड़ी खबर सामने आई है। अब सिर्फ 5 मिनट में जान सकते हैं कोरोना वायरस की स्टेज क्या है। नोबेल पुरस्कार विजेता जेनिफर डोडना ने कोरोना टेस्ट को एक कदम और विकसित किया है। जिसमें मोबाईल फोन के कैमरे से ही टेस्टिंग की जा सकती है। जेनिफर डोडना ने कोविड-19 टेस्टिंग में जीन-एडिटिंग टेक्नोलॉजी और मोबाइल फोन के कैमरे का इस्तेमाल किया गया है।
जिसके लिए नोबेल मिला, उसी तकनीक से टेस्टिंग विकसित की
जर्नल ‘साइंस’ में पब्लिश रिसर्च के मुताबिक, कोविड टेस्ट में जिस CRISPR जीन एडिटिंग टूल का प्रयोग किया है, इसे अमेरिकी वैज्ञानिक जेनिफर डोडना ने विकसित किया है। जेनिफर को इसी के लिए इस साल केमिस्ट्री में नोबेल पुरस्कार दिया गया है। यह टेस्ट बड़े स्तर पर लोगों के लिए उपलब्ध होता है तो घरों में कोविड टेस्टिंग करना आसान हो सकेगा।
RNA का पता लगाएगा टूल
इंसान से लिए गए सैम्पल पर जीन एडिटिंग टूल का प्रयोग किया जाता है। यह टूल बताता है कि सैम्पल में कोरोना के कितने वायरस हैं। टेस्टिंग के दौरान इस टूल की मदद से सैम्पल में कोरोना के खास तरह के RNA का पता लगाया जाता है।
टेस्ट के दौरान ही ये RNA फ्लोरोसेंट पार्टिकल्स रिलीज करता है, जो मोबाइल कैमरे की मदद से निकलने वाली लेजर लाइट के सम्पर्क में आने पर प्रकाश बिखेरता है। अगर सैम्पल में ऐसा होता है तो वायरस होने की पुष्टि होती है और रिपोर्ट पॉजिटिव आती है।
क्विक टेस्टिंग कितनी फायदेमंद
कम से कम समय में वायरस की जांच करने वाली क्विक टेस्टिंग से ही समय पर संक्रमण का पता लगाया जा सकता है। ऐसा होने पर ही इलाज तेजी से शुरू किया जा सकता है और जानें बचाई जा सकती हैं। महामारी की शुरुआत में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा था कि कोरोना के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए टेस्ट सबसे जरूरी है।