14 दिसंबर को सोमवती अमावस्या है। इस दिन पंचग्रही योग का संयोग बन रहा है। इस दिन साल का आखिरी सूर्य ग्रहण भी है इसके बाद सूर्य अपनी राशि भी बदलेगा। काशी के ज्योतिषाचार्य पं. गणेश मिश्र के मुताबिक सोमवती अमावस्या पर वृश्चिक राशि में सूर्य, चंद्र, बुध, शुक्र और केतु रहेंगे। ग्रहों की इस विशेष संयोग में किए गए स्नान, दान और पूजा-पाठ का विशेष फल मिलता है। सोमवती अमावस्या पर पितरों की संतुष्टि के लिए विशेष पूजा और तर्पण करना चाहिए।
पं. मिश्र बताते हैं कि अमावस्या पर सूर्य और चंद्रमा एक ही राशि में स्थित होते हैं। इस तिथि को ग्रंथों में पर्व कहा गया है। इस दिन अनुष्ठानों का भी बहुत महत्व होता है। अगहन महीने की अमावस्या पर तीर्थ स्नान और दान के साथ ही शंख से भगवान कृष्ण का अभिषेक और उनकी विशेष पूजा करनी चाहिए। शास्त्रों में इसे अश्वत्थ प्रदक्षिणा व्रत की भी संज्ञा दी गई है। अश्वत्थ यानि पीपल का पेड़। इस दिन शादीशुदा महिलाओं द्वारा पीपल के पेड़ की दूध, जल, पुष्प, अक्षत और चंदन से पूजा कर पेड़ के चारों ओर सूत का धागा लपेट कर परिक्रमा करने का विधान है।