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यहां जान लीजिए कि खारमास में क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए...

खरमास महीने की शुरुआत आज से हो गई है. ये पूरे एक महीना का होता है. सूर्य के धनु राशि में गोचर होने से सूर्य की धनु संक्रांति का प्रारंभ हो जाती है. धनु संक्रांति के प्रारंभ के साथ ही खरमास भी शुरु हो गया. खरमास में सभी प्रकार के मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाता है. अगर इस दौरान कोई भी मांगलिक किया जाता है तो वह अमंगल में बदल जाता है. खरमास का समापन 15 जनवरी 2021 को होगा. इस दिन मकर संक्रांति मनाया जाता है. इस से ही देवी-देवताओं की पूजा शुरू हो जाती है. और मंगल कार्य भी इसी दिन से प्रारंभ होता है. धनु राशि में सूर्य के प्रवेश के कारण विचित्र, अप्रिय और अप्रत्याशित परिणाम का सबब बनता है. जिसके कारण मनुष्य के साथ-साथ अन्य प्राणी की भी आंतरिक स्थिरता नष्ट होती है और चंचलता घेर लेती है. अंतर्मन में नकरात्मकता प्रवेश करने लगती है.
खरमास
मार्गशीर्ष को अर्कग्रहण भी कहते हैं. अर्कग्रहण का अपभ्रंश अर्गहण है और अर्कग्रहण और पौष का संगम है खरमास. इस दरम्यान सूर्य की रश्मियां दुर्बल होकर शक्तिहीन हो जाती हैं तथा कई प्रकार के झमेलों का सूत्रपात करती हैं.
आत्म कल्याण के लिए करें काम
मार्गशीर्ष महीना स्वयं में बेहद विशिष्ट है. यह माह आंतरिक कौशल और बौद्धिक चातुर्य से शीर्ष पर पहुंचने का मार्ग प्रकट करता है. मार्गशीर्ष और पौष का संधिकाल खरमास के आगोश में बीतता है. इस दौरान यदि बाह्य जगत के बाहरी कर्मों से निर्मुक्त होकर, स्वयं में प्रविष्ट होकर खुद को तराशा जाए, निखारा जाए, संवारा जाए, तो व्यक्ति जीवन में उत्कर्ष का वरण करता है.
अमांगलिक फल देते हैं मांगलिक कार्य
धनु राशि की यात्रा और पौष मास के संयोग से देवगुरु के स्वभाव में अजीब-सी उग्रता के कारण यह माह नकारात्मक कर्मों को प्रोत्साहित करता है, इसीलिए इसे कहीं-कहीं 'दुष्ट माह' भी कहा गया है. बृहस्पति के आचरण में उग्रता, अस्थिरता, क्रूरता और निकृष्टता के कारण इस मास के मध्य शादी-विवाह, गृह निर्माण, गृहप्रवेश, मुंडन, नामकरण जैसे मांगलिक कार्य अमांगलिक सिद्ध हो सकते हैं, इसलिए शास्त्रों ने इस माह में इनका निषेध किया है.
सूर्य उपासना बदल सकती है आपका जीवन
ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार, सूर्य अकेले ही सात ग्रहों के दुष्प्रभावों को नष्ट करने का सामर्थ्य रखते हैं. दक्षिणायन होने पर सूर्य के आंतरिक बल में कमी परिलक्षित होती है. अतएव ढेरों अवांछित झमेलों का सूत्रपात होता है, पर उत्तरायण होते ही सूर्य नारायण समस्त ग्रहों के तमाम दोषों का उन्मूलन कर देते हैं. इसलिए दैविक, दैहिक और भौतिक कष्टों से मुक्ति के लिए भगवान सूर्य की उपासना असरदार मानी गई है. ऐश्वर्य और सम्मान के अभिलाषियों को खरमास में ब्रह्म मुहूर्त में सूर्य की आराधना करनी चाहिए