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भय का नाश करना, आरोग्य की प्राप्ति और शत्रुओं से रक्षा करने वाली मां काली की पूजा शुक्रवार को की जाती है. मां काली की पूजा रात्रि के समय की जाती है. मां काली की पूजा और देवी-देवताओं से बिल्कुल अलग होती है. इनकी उपासना से तंत्र मंत्र के सारे असर समाप्त हो जाते हैं. जिस तरह संहार के अधिपति शिव जी हैं उसी प्रकार संहार की अधिष्ठात्री देवी मां काली हैं. मां काली की उपासना करने से पाप ग्रह जैसे राहु, केतु और शनि की शांत हो जाते हैं.
मां काली की पूजा की विशेषता और सावधानियां क्या हैं-
- मां काली की उपासना दो प्रकार से होती हैं- सामान्य पूजा और तंत्र पूजा.
- सामान्य पूजा कोई भी कर सकता है, लेकिन तंत्र पूजा बिना गुरु के संरक्षण और निर्देश के नहीं की जा सकती है. मां काली की उपासना का सबसे उपयुक्त समय मध्य रात्रि का होता है.
- शुक्रवार के दिन पवित्र होकर हल्के लाल या गुलाबी वस्त्र पहनकर माता के मंदिर में जाकर गुग्गल की धूप जलाने के बाद गुलाब के फूल चढ़ाएं और माता की मूर्ति के समक्ष बैठकर अपनी समस्याओं के खत्म करने की प्रार्थना करें.
- मां काली की उपासना में लाल और काली वस्तुओं का विशेष महत्व होता है, जो सामान्यतः इन्हें अर्पित की जाती हैं.
- मां काली की उपासना शत्रु और विरोधी को शांत करने के लिए करनी चाहिए. किसी के नाश अथवा मृत्यु के लिए मां की उपासना नहीं करनी चाहिए.