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नेपाल स्थित मां गंडकी का क्या है रहस्य? क्यों शालिग्राम पत्थर के रूप में विराजते हैं भगवान विष्णु?

भारत में हिंदुओं के लिए सबसे प्रसिद्ध तीर्थ के रूप में जाना जाने वाला गंडकी शक्ति पीठ उनकी बाधाओं पर मोक्ष प्रदान करने का प्रतीक है। नेपाल में स्थित गंडकी शक्ति पीठ, नेपाल की सबसे धार्मिक नदी के रूप में विद्यमान देवी गंडकी को समर्पित है जिसकी गहराई में शालिग्राम-पत्थर (भगवान विष्णु का रूप) हैं। गंडकी शक्तिपीठ को हिंदू धर्म में प्रसिद्ध 51 शक्ति पीठों में से जिसे मुक्तादान या मुक्तिनाथ मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यह शक्तिपीठ नेपाल में गंडकी नदी के उद्गम स्थल पर स्थित है। बता दे हिंदू धर्म में पुराणों के अनुसार, जहां भी देवी सती के शरीर के अंग या आभूषण गिरे, वह पवित्र स्थान शक्तिपीठ बन गया। इन शक्तिपीठों को पवित्र तीर्थ कहा जाता है, जो पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में फैले हुए हैं। देवीपुराण में 51 शक्तिपीठों का जिक्र किया गया है। देवी का इस स्थान पर सिर गंडकी में गिरा था । यहां माता सती को गंडकी चंडी और भगवान शिव को चक्रपाणि के नाम से जाना जाता है। हिंदू वैष्णव श्री मुक्तिनाथ को सबसे बड़ा तीर्थ मानते हैं, जिसे आठ सबसे पवित्र मंदिरों में से एक के रूप में जाना जाता है। 

मान्यता के अनुसार भगवान विष्णु शालिग्राम चट्टान में निवास करते हैं। कहा जाता है कि जालंधर नाम का एक राक्षस था जिसकी पत्नी वृंदा बहुत तपस्वी और पतिव्रता थी, वृंदा के तप से जालंधर समझ गया था कि उसे कोई नहीं मार सकता इसके बाद भगवन शिव ने जालंधर से युद्ध किया। भगवान शिव समेत देवताओं ने जलंधर का नाश करने के लिए भगवान विष्णु से प्रार्थनी की। भगवान विष्णु ने जलंधर का रूप धारण किया और और पतिव्रता स्त्री वृंदा की पवित्रता नष्ट कर दी। जब वृंदा को इस बात का अहसास हुआ, तब तक बहुत देर हो चुकी थी। वृंदा ने दुखी होकर भगवन विष्णु को श्राप दिया। जिसके कारण शालिग्राम पत्थर का निर्माण हुआ, जो हिंदू धर्म में पूजनीय है।