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महाकाल मंदिर में पंचामृत पूजन पर रोक, ज्योतिर्लिंग को घिसने और रगड़ने पर भी प्रतिबंध

महाकालेश्वर मंदिर में शिवलिंग के नुकसान (क्षरण) के मामले को लेकर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया। इसमें पंचामृत पूजन पर रोक के साथ ज्योतिर्लिंग को घिसने और रगड़ने पर भी प्रतिबंध लगाया गया है। इसके साथ महाकाल मंदिर प्रबंध समिति को आदेश किया है कि मंदिर समिति क्षरण (रिसना) रोकने के उपायों को तत्काल लागू करें। कोर्ट ने कहा कि एक्सपर्ट कमेटी के सुझावों को अमल में लाएं। इस कमेटी ने ज्योतिर्लिंग का क्षरण रोकने के लिए मंदिर समिति को सुझाव दिए थे।

साल 2013 में उज्जैन की सारिका गुरु नामक महिला ने महाकाल मंदिर में शिवलिंग क्षरण को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। बाद में यह केस सुप्रीम कोर्ट चला गया तभी से लगातार सुनवाई चल रही थी। उज्जैन कलेक्टर आशीष सिंह की मानें तो शुरुआती जानकारी के अनुसार अभी फैसले की कुछ बातें पता चल पाई हैं

श्रद्धालु दूध और जल चढ़ाते वक्त शिवलिंग पर हाथ रगड़ते

दरअसल, पंचामृत पूजन में दूध, दही, घी, शक्कर और फलों का रस मिलाकर पंचामृत तैयार किया जाता है। इसके बाद पंचामृत को शिवलिंग पर रगड़ कर पूजन अभिषेक किया जाता है। कई बार श्रद्धालु दर्शन के दौरान दूध और जल चढ़ाते वक्त शिवलिंग पर हाथ रगड़ते हैं। इससे पहले भी क्षरण रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन करते हुए महाकाल मंदिर समिति ने कई उपाय किए थे।

  • आरओ वाटर का शिवलिंग पर चढ़ना।
  • गर्भग्रह के अंदर के वातावरण को शुद्ध रखना।
  • बड़े बर्तनों के उपयोग पर रोक।
  • दूध और जल की मात्रा भी तय की गई थी।

विश्व प्रसिद्ध 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक महाकालेश्वर

विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर आस्था का बड़ा केंद्र है। यहां श्रद्धालु मंदिर के गर्भ गृह तक जाकर शिवलिंग को छूकर दर्शन करते हैं और भगवान से आशीर्वाद लेते हैं। अब सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद नए नियमों को पालन मंदिर समिति को कराना होगा, जिससे शिवलिंग का क्षरण होने से रोका जा सके।