मलमास 18 सितंबर से आरंभ होने जा रहे हैं। मलमास में किसी भी शुभ और नए कार्य को नहीं किया जाता है। पंचांग के अनुसार मलमास प्रत्येक तीन वर्ष में एक बार आता है। मलमास को अधिक मास और पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है। मलमास में शादी विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन आदि जैसे शुभ और मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं।
मलमास में पूजा पाठ, व्रत, उपासना, दान और साधना को सर्वोत्तम माना गया है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मलमास में भगवान का स्मरण करना चाहिए। अधिक मास में किए गए दान आदि का कई गुणा पुण्य प्राप्त होता है। इस मास को आत्मा की शुद्धि से भी जोड़कर देखा जाता है। अधिक मास में व्यक्ति को मन की शुद्धि के लिए भी प्रयास करने चाहिए। आत्म चिंतन करते मानव कल्याण की दिशा में विचार करने चाहिए। सृष्टि का आभार व्यक्त करते हुए अपने पूर्वजों का भी धन्यवाद करना चाहिए। ऐसा करने से जीवन में सकारात्मकता को बढ़ावा मिलता है।