दिल्ली: दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) द्वारा शुक्रवार को एक निर्देश जारी किया गया। इस निर्देश में मूर्ति निर्माता और विक्रेता को शख़्त आदेश दिए गए हैं। आने वाले कुछ महीनों में बहुत सारे पर्व और त्योहार आने वाले हैं जिसको लेकर कारीगरों द्वारा विभिन्न प्रकार की मूर्तियाँ बनाई जा रही है। समिति द्वारा इन कारीगरों को प्राकृतिक मिट्टी और बायोडिग्रेडेबल सामग्री का इस्तेमाल करने का फरमान जारी किया गया है। साथ ही यह भी बताया गया है कि कुछ स्थानों को छोड़कर बाक़ी जगहों पर प्लास्टर ऑफ पेरिस (POP) आधारित मूर्तियों को विसर्जन करने की अनुमति नहीं होगी।
समिति द्वारा लोगों से अपील करी गई है कि ज्यादा से कोशिश करे मूर्तियों को बल्टी या कृत्रिम तालाबों में ही विसर्जित करे और पूजा सामग्री को अलग से एकत्रित किया जाएग जिसे बाद में निपटा जाएगा। इस दौरान समिति द्वारा मूर्तियों के विसर्जन के समय यमुना नदी के तट पर दिशा-निर्देश के अनुसार सुरक्षा का उपाए किया जाए।
अभी पूरे देश में गणेश उत्सव की धूम है। 31 अगस्त से शुरू हुआ यह महोत्सव 9 सितंबर को ख़त्म होगा। इसके बाद स्थापित की गई भगवान गणेश की प्रतिमा को अलग अलग तालाबों और घाटों पर विसर्जित किया जाएगा। इसके कुछ ही दिनों बाद दुर्गा पूजा का त्योहार आ जाएगा। यह त्योहार अश्विन महीने के शुक्ल पक्ष में मनाया जाता है। माँ दुर्गा का यह त्योहार 10 दिन तक मनाया जाता है इस दौरान माँ दुर्गा के साथ लक्ष्मी, सरस्वती, कार्तिक और गणेश जी की मूर्तियाँ भी बनाई जाती है।
समिति द्वारा गणेश उत्सव, दुर्गा पूजा और दीपावली को लेकर जारी इस फ़रमान में मूर्ति खरीदने वाले को भी हिदायत दी गई है। पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए यह निर्देश जारी किए गए हैं। बताया जा रहा है की मूर्ति निर्माण करने वाले को ज्यादा से ज्यादा प्राकृतिक सामग्री का इस्तेमाल करने का आदेश दिया गया है।