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अयोध्या पहुंचीं शालिग्राम शिलाएं, इन्हीं शिलाओं से क्यों बनाई जाएगी प्रभु श्रीराम की मूर्ति...

अयोध्या: नेपाल के गंडकी नदी से निकाली गई दो शिलाएं जिनसे भगवान राम और माता सीता की मूर्तियां तैयार की जाएंगी, वो राम नगरी पहुंच गई है। इन शिलाओं के अयोध्या पहुंचने पर भव्य स्वागत किया गया। शिलाओं के अयोध्या पहुंचने पर रामनगरी अयोध्या में आस्था और श्रद्धा का सबसे बड़ा मेला लगा हुआ है। लंबी यात्रा के बाद देव शिलाएं नेपाल के जनकपुर से अयोध्या पहुंचीं। शिलाओं को चार क्रेनों की मदद से उतारा गया और फिर पूरे विधि विधान के साथ इन शिलाओं की पूजा की गई।

 

शिलाओं की हुई विधि विधान के साथ आरती 

अयोध्या में सबसे पहले शिलाओं की पूजा-अर्चना विधि-विधान से हुई। वैदिक मंत्रोच्चार के साथ स्वागत होगा, संत-महात्मा-श्रद्धालु दर्शन-पूजन की । पूजा के बाद शिलाएं मंदिर ट्रस्ट को सौंप दी गईं ।  बता दें कि,  शालिग्राम को भगवान विष्णु का स्वरूप माना जाता है, नेपाल से 2 ट्रकों से शिलाएं लाई गई हैं । एक शिला का वजन 26 टन है, जबकि दूसरी 14 टन की है । अयोध्या में बन रहे भव्य राम मंदिर के गर्भगृह में स्थापित होने वाली भगवान राम की मूर्ति इन्हीं दोनों शिलाओं पर उकेरी जाएंगी  ।

 शालिग्राम शिलाओं से ही क्यों बनेंगी रामलला की मूर्ति ?

शालिग्राम शिला का धार्मिक महत्व की समझ नहीं रखने वाले लोगों के मन में पिछले एक हफ्ते से एक ही सवाल  कौंध रहा है,  कि आखिर इन शिलाओं से ही रामलला की मूर्ति क्यों बनेगी? इस सवाल की सबसे बड़ी वजह ये है कि, शालिग्राम शिला को भगवान विष्णु का प्रतीक माना जाता है। शालिग्राम की गिनती भगवान विष्णु के 24 अवतारों के तौर पर होती है। पुराणों के अनुसार शालिग्राम को भगवान विष्णु के विग्रह रूप में पूजा जाता है। ऐसी मान्यता है कि, अगर शालिग्राम पत्थर गोल है तो वो नारायण का गोपाल स्वरूप माना जाता  है। शालिग्राम पत्थर पर दिखने वाले चक्र और रेखाएं भगवान विष्णु के दूसरे अवतारों का प्रतीक मानी जाती हैं। यही वजह है कि इस शिला के प्राण-प्रतिष्ठा की जरूरत नहीं पड़ती है। किसी भी मंदिर के गर्भगृह में सीधे रखकर इस शिला की पूजा की जा सकती है। यही वजह है कि हिंदू धर्म में शालिग्राम शिला का विशेष महत्व है। शिवलिंग की तरह ही शालिग्राम मिलना भी बेहद मुश्किल होता है। और काली गंडकी नदी की यही विशेषता है कि, ज्यादातर शालिग्राम इसी नदी के तट पर पाए जाते हैं।

 

जैसा की ज्ञात है कि, राम मंदिर के लिए हर चीज को बड़ी ही सूझबूझ के साथ इस्तेमाल किया जा रहा है और मंदिर के लिए एक-एक चीज चुनचुन कर लाई जा रही है। जिसका जीता जागता उदहारण शालिग्राम शिलाओं के रूप में देखा जा सकता है । जिससे भगवान राम और माता सीता की प्रतिमाएं तैयार की जाएंगी और हो भी क्यों न भगवान राम श्रद्धेय जो हैं ।

अहरार खान