भारत मठ मंदिरों का देश है। यहां भिन्न-भिन्न तरह के मंदिर स्थित हैं और उनकी परंपराएं भी अलग-अलग हैं। हर मंदिर अपनी अलग ही पहचान रखता है। चाहे उज्जैन का महाकाल मंदिर हो या फिर काशी का विश्वनाथ मंदिर हर मंदिर अपनी एक परंपरा और कहानी संजोय हुए है और मंदिरों की परंपरा को आगे बढाने का काम करते हैं श्रद्धालु।
आज हम बात कर रहे हैं एक अलग ही परंपरा संजोय हुए मंदिर की जोकि मध्य प्रदेश के रतलाम में मौजूद है। इस मंदिर की एक अलग ही परंपरा चली आ रही है, रतलाम जिले के कचलाना गांव में स्थित भैरव मंदिर को लेकर लोगों में काफी आस्था है। होली के अवसर पर यहां दो दिन का मेला लगता है। होली के मौके पर भक्तों की भारी तादात मंदिर में आती है। इस दौरान श्रद्धालु मन्नते मांगने आते हैं और मन्नत पूरी होने वाले भक्त भैरव मंदिर पर लगे 25 फीट के खंभे पर उल्टा लटककर परिक्रमा करते हैं। आइए जानते हैं मंदिर की मान्यताओं के बारे में।
आखिर ग्रामीणों का क्या है कहना ?
ग्रामीणों की मान्यता के अनुसार भैरव मंदिर कई दशक पुराना है, यहाँ पर होली के मौके पर दो दिन मेला लगता है। मेले के चलते मंदिर पर अपनी मन्नत मांगने दूर-दूर से श्रद्धालु यहाँ आते हैं... कोई संतान के लिए तो कोई व्यवसाय के लिए या अन्य समस्याओं के लिए मन्नत मांगता हैं और मनोकामना पूरी होने पर भक्त मंदिर पर 25 फ़ीट ऊपर उल्टा लटककर होली के दिन यहाँ परिक्रमा लगाते हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि, गांव कचलाना में इस अनोखी मान्यता का कई सालों से आज तक चलन चला आ रहा है। होली के त्योहार पर श्रद्धालुओं का जमावड़ा यहां लगता है।
इस गांव में काल भैरव का यह मंदिर सालों पुराना है और दर्शनार्थी न सिर्फ रतलाम से बल्कि अन्य जिलों से भी यहां भारी तादाद में आते हैं साथ ही कुछ भक्तों के यहां अंगारों पर चलने की भी मान्यता है। तो ये है रतलाम के भैरव मंदिर की कहानी इसी तरह के लाखों हजारों मंदिर भारत देश में मौजूद हैं और हर मंदिर की कहानी जुदा है।
अहरार