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यह ऐतिहासिक समुद्र कूप लोगों के बीच बना है कौतूहल का विषय, जानिए क्या है इस कूप की पहेली...

Prayagraj: वैसे तो प्रयागराज के आसपास कई धार्मिक स्थल मौजूद है। लेकिन कुछ धार्मिक स्थल अपने आप में कई कहानियों को भी समेटे हुए हैं। इन्‍हीं में से एक है समुद्र कूप। जी हां, शहर से कुछ दूर पर स्थित यह कूप गुप्‍तकाल का बताया जाता है। यह पुरानी झूंसी में उल्‍टा किला में स्थित है। इसके बारे में यह कहा जाता है कि इस कूप का जुड़ाव समुद्र से है तभी तो सैकड़ों साल से इस कुएं का पानी जस का तस है। न तो कम हुआ और न ज्यादा।

इस कूप को ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व का बताया जाता है। बता दे कि इसका जिक्र मत्स्य पुराण में भी आता है। सम्राट समुद्र गुप्त के कार्यकाल से भी इसे जोड़ा जाता है। कहा जाता है कि समुद्र गुप्त ने अपने शासनकाल में ऐसे पांच कुएं बनवाए जो प्रयागराज के अलावा मथुरा, वाराणसी, उज्जैन और पटना में हैं।  

बताते हैं कि काफी गहरे इस कुएं को लेकर तमाम कथाएं प्रचलित हैं। स्थानीय लोगों के मुताबिक समुद्र कूप की गहराई कितनी है कोई नहीं जानता है। कुछ लोग कहते हैं कि इसमें गंगा का पानी आता है जबकि बुजुर्ग बताते हैं कि इसमें समुद्र से पानी आता है, उसी के चलते कभी सूखता नहीं है।

उल्टे किले के दूसरे भाग में श्री हनुमान गुफा मौजूद है। गुफा के अंदर हनुमान जी की प्रतिमा स्थित है। 27 सीढ़ियों से नीचे उतरकर गुफा में हनुमान जी के दर्शन होते हैं। सीढ़ियां इतनी संकरी हैं कि दो व्यक्ति एक साथ अंदर नहीं जा सकते हैं। लेकिन अंदर जाने पर दो-तीन व्यक्तियों के खड़े होने की पर्याप्त जगह मौजूद है। हनुमान गुफा के साथ ही किले के अंदर कई अन्य गुफायें भी मौजूद हैं। जिनमें कभी साधु-संत रहकर कठिन तप और साधना करते थे। मिली जानकारी के मुताबिक  मंदिर की 27 सीढ़ियां 27 नक्षत्रों और नौ गुफायें नौ ग्रहों को बताती हैं। गुफाओं से गिर रही मिट्टी को रोकने के लिए इसके कॉरिडोर को अब सीमेंट से बना दिया गया है। कौतूहल का विषय बने इस कुएं को देखने के लिए कुंभ और माघ मेले में देश-विदेश से भारी तादात में पर्यटक आते हैं।

रजत द्विवेदी