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राजस्थान का ऐसा मंदिर, जहाँ घंटी बजाना है मना…

हिन्दू सनातन घर्म में घंटी बजने का बेहद खास महत्व है , धार्मिक ही नहीं वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी घंटी बजाना शुभ   माना जाता है , जहां एक ओर भारत के लगभग सभी मंदिरों में घंटी एक खास भूमिका निभाती है तो वही दूसरी ओर , देश में  ऐसे मंदिर भी  है जहा पर घंटी बजाना सख्त मना है , आइये जानते है ये कौन सा मंदिर है और यह कहाँ स्थित है ?

राजस्थान के झुंझुनूं जिले के पिलानी में स्थित यह मंदिर माता सरस्वती को समर्पित है इस मंदिर को देश के प्रसिद्ध औद्योगिक घराने बिरला परिवार के द्वारा 1956  में बनवाया गया था , उस वक्त इस मंदिर को बनवाने में कुल 23 लाख रुपए का लागत लगा था।

बिरला परिवार ने इस मंदिर को बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस, पिलानी के  परिसर में 1956 में बनवाना  शुरू करवाया, लगभग चार सालों की मेहनत और 300 से अधिक श्रमिकों और शिल्पकारों की मदद से यह मंदिर 1960 में बनकर तैयार हुआ , इस मंदिर को मकराना के सफेद संगमरमर से बनाया गया है मंदिर के मुख्य गर्भगृह में मां सरस्वती की प्रतिमा स्थापित है।

यहाँ क्यों नहीं बजाई जाती है घंटी ?

मां सरस्वती को संगीत, कला, और ज्ञान की देवी कहा जाता  है। कहते हैं कि माता सरवती की  साधना करने के लिए शांति की जरूरत होती है।

इसलिए यहां शांति बनाए रखने के लिए  घंटी बजने से मनाही है यहाँ आरती के समय या बाद में भी किसी तरह का वाद्य यंत्र नहीं बजाया जाता है।

यह मंदिर दुनिया का एक ऐसा  मंदिर है। जिसमें देश और दुनिया के करीब 1267 महापुरुषों की प्रतिमाएं भी बनाई गई हैं ये प्रतिमाएं मंदिर के शिखर के चारों ओर लगी हैं। यह प्रतिमाएं ऐसे महापुरुषों की हैं, जिन्होंने कला, साहित्य, शिक्षा, संगीत, विज्ञान आदि के क्षेत्र में कार्य किया। इन प्रतिमाओं में गणितज्ञ आर्यभट्‌ट, जहांगीर , मैडम क्यूरी जैसे  कई अन्य वैज्ञानिक, महात्मा गांधी, सुभाष चंद्र बोस सहित अनेक महापुरुषों  की प्रतिमाएं शामिल हैं। sयह मंदिर देश का एकलौता अनोखा मंदिर है।

अक्षरा आर्या