पुराने जमाने में भले ही आज जैसी उन्नत तकनीक न हो लेकिन कुछ चीजें ऐसी हैं जो आज भी अचंभित कर देती हैं। जिनको देखकर या उनके बारे में जानकर लोग दातों तले उंगलियां दबाने पर मजबूर हो जाते हैं... उत्तरप्रदेश के शहर कानपुर के बेहटा गांव का एक मंदिर भी कुछ इसी तरह चकित करने वाला मंदिर है। दरअसल इस मंदिर के बारे में जो बात खास है वो ये है कि, भगवान जगन्नाथ को समर्पित यह मंदिर बारिश आने की पूर्व भविष्यवाणी करने के लिए प्रसिद्ध है। विशेष धार्मिक, ऐतिहासिक और भौगोलिक तथ्यों से परिपूर्ण यह मंदिर 21वीं सदी के विज्ञान के लिए बड़ी चुनौती है।
ऐसा देखा गया है कि इस मंदिर की छत तेज चिलचिलाती धूप में भी अचानक ही टपकने लगती है। स्थानीय निवासियों का मानना है कि, यह नजारा मंदिर में वर्षा आने के लगभग छह-सात दिन पहले देखा जाता है। आश्चर्य की बात ये है कि बारिश की शुरुआत होते ही छत से टपकता पानी भी अपने आप बंद हो जाता है। जोकि कि वास्तव में हैरान कर देने वाली बात है
गौर करने वाली बता ये कि, यहां के ग्रामीण मंदिर की छत को देखकर ही अपनी खेती की तैयारी करने में जुट जाते हैं । बुजुर्गों की मानें तो मंदिर की छत पर बूंदों का आकार बताता है कि मानसून अच्छा रहेगा या कमजोर। बीते सैकड़ों वर्षों से लोग इस मंदिर की बूंदों से ही मानसून का आंकलन करके फसल बुवाई की तैयारी करते थे।
भगवान जगन्नाथ, बलराम सहित सुभद्रा की प्रतिमाएं हैं स्थापित
इस प्राचीन मंदिर में भगवान जगन्नाथ, बलदाऊ और सुभद्रा की प्रतिमाएं स्थापित हैं जो कि काले चिकने पत्थरों से बनाई गई हैं। हर वर्ष यहां पर भगवान जगन्नाथ की यात्रा भी निकाली जाती है जिसमें आसपास से हजारों भक्त श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं। मंदिर परिसर में सूर्यदेव और पद्मनाथ की भी प्रतिमाएं विराजमान हैं।
बूंदों का वैज्ञानिक मत
ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण सम्राट अशोक के शासनकाल में किया गया है। मंदिर की बाहरी संरचना और स्वरूप बौद्ध मठ के समान दिखाई देता है। मंदिर की दीवारों की मोटाई 14 फीट की है। किंवदंतियों के अनुसार मंदिर का जीर्णोद्धार 11वीं सदी में किया गया था। लेकिन कुछ वैज्ञानिक मंदिर की छत से पानी टपकने का कारण मंदिर के डिजाइन को मानते हैं। मंदिर का डिजाइन ऐसा है कि जब मानसून आने वाला होता है तो तेज गर्मी और वाष्प के कारण मंदिर की छत से पानी टपकने लगता है।
डिस्क्लेमर:- यहां दी गई जानकारी ज्योतिष पर आधारित है और केवल सूचना के लिए दी जा रही है। संस्कार चैनल इसकी पुष्टि नहीं करता है।
अहरार