मंदिर में पूजा-पाठ करने के बाद देवी-देवता की मूर्ति और मंदिर की पूरी परिक्रमा की जाती है। मान्यता भी है कि परिक्रमा से कई जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं लेकिन शिवलिंग की पूजा के नियम अलग हैं और शिवलिंग की परिक्रमा आधी की जाती है। अर्थात जलाधारी को लांघना मना होता है। आखिर ऐसा क्यों है और क्या कहता हैं शास्त्र ? आइये जानते हैं।
हिंदू धर्म में परिक्रमा का विधान
सनातन धर्म में परिक्रमा करने का बहुत महत्व है। ऐसी मान्यता है कि परिक्रमा करने से मनुष्य के अनेकों पापों का नाश होता है। धर्म ग्रंथों के अनुसार, मंदिर और भगवान की परिक्रमा करने से व्यक्ति में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होता है । अर्थात भक्त के जीवन में में सौभाग्य और सुख-शांति बनी रहती है।
शिवलिंग की चंद्राकार परिक्रमा
आप ने गौर किया होगा कि सभी देवी-देवताओं, वृक्ष, मंदिर एवं तीर्थ स्थान की पूरी परिक्रमा की जाती है, जबकि शिवलिंग की आधी परिक्रमा ही होती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार शिव जी की प्रतिमा की तो पूरी परिक्रमा की जा सकती है लेकिन शिवलिंग की आधी परिक्रमा ही की जाती है । इसे चंद्राकार परिक्रमा कहा जाता है।
जलाधारी को लांघना घोर पाप
शिवलिंग को शिव और शक्ति दोनों की सम्मिलित ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। शिवलिंग पर चढ़ा जल जिस मार्ग से निकलता है, उसे निर्मली, अरघा, सोमसूत्र या जलाधारी कहा जाता है। इसलिए शास्त्रों में जलाधारी को लांघना घोर पाप माना गया है। किसी भी देवी देवता की परिक्रमा दाईं ओर से की जाती है जबकि शिवलिंग की परिक्रमा बाईं तरफ से की जाती है जिसके बाद जलाधारी से वापस दाईं ओर लौटना होता है।
इस बात का भी खास ख्याल रखें कि जलधारी के सामने खड़े होकर कभी भी शिवलिंग की पूजा न करें। कुछ मान्यताओं के अनुसार कहीं-कहीं पर शिवलिंग पर चढ़ाया हुआ जल सीधे भूमि में चला जाता है या कही-कहीं जलाधारी ढकी हुई होती है। ऐसी स्थिति में शिवलिंग की पूरी परिक्रमा की जा सकती है। इसी तरह तृण, काष्ठ, पत्ता, पत्थर, ईंट आदि से ढंके हुए जलाधारी के उल्लंघन संबंधी दोष नहीं लगता । एक वैज्ञानिक तर्क भी है कि शिवलिंग ऊर्जा शक्ति का भंडार होता हैं और इसके आसपास रेडियो एक्टिव तत्व सक्रिय रहते हैं ऐसे में शिवलिंग पर चढ़े जल में इतनी ज्यादा ऊर्जा होती है कि इसे लांघने से बहुत नुकसान हो सकता है।
आप भी जब शिव मंदिर जाएं तो शिवलिंग की पूजा-अर्चना करते वक्त इन बातों का ध्यान रखें ताकि आपको आपकी श्रद्धा और भक्ति का पूरा लाभ मिले, किसी प्रकार का दोष नहीं लगे।
रजत द्विवेदी