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शिव से पहले नंदी पूजा क्यों ?

सावन के पावन महीने में भक्त भोलेनाथ की आराधना कर उन्हें प्रसन्न करते हैं सिर्फ सावन ही  नहीं साल के अन्य दिनों में भी भक्त भोलेनाथ की पूजा अर्चना करते हैं, पुराणों के अनुसार सावन में शिव जी की पूजा का विशेष विधान बताया गया हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि भोलेनाथ की पूजा से पहले उनके प्रिय गण नंदी की पूजा क्यों की जाती है ? आज हम इसी के बारे में जानेंगे ।

नंदी के कानों में बोली गई मनोकामना होती है पूर्ण !

भोले बाबा वाकई बहुत भोले हैं । एक लोटा जल या दूध से ही प्रसन्न हो सकते हैं । लेकिन शिव आराधना में सिर्फ इतना ही नहीं है । कई ऐसे छोटे-बड़े अनुष्ठान, पूजा विधियां और मंत्र हैं जिससे शिव को साधा जा सकता है। इन्हीं में एक है – शिव के द्वारपाल कहे जाने वाले नंदी के कानों में अपनी मनोकामनाएं बोलना । कहते हैं कि शिवजी जब ध्यान में लीन रहते हैं तब कोई विघ्‍न न पड़े, इसीलिए नंदी तैनात रहते हैं। भोलेनाथ का ध्यान भंग न हो इसीलिए भक्त अपनी समस्या नंदी जी को कह देते हैं। मान्यता है कि नंदी जी से कही बात शिवजी तक पहुंच जाती है

नंदी के बिना भोलेनाथ की पूजा नहीं 

हिंदू मान्यता के अनुसार शिवलिंग की पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है और शिव जी की पूजा नंदी के बिना अधूरी मानी जाती है । उनकी कृपा पाने के लिए नंदी पूजन का विशेष महत्व है । नंदी को भगवान भोलेनाथ के द्वारपाल और सबसे प्रिय गण कहा जाता है । साथ ही वे शिवजी के वाहन भी हैं । इतना ही नहीं उन्हें शिवजी का सबसे बड़ा भक्त भी कहा जाता है । शिव जी ने नंदी को वरदान दिया था कि जहां उनका निवास होगा वहां नंदी भी हमेशा विराजमान रहेंगे। इसलिए हर शिव मंदिर में शिवलिंग के साथ-साथ नंदी भी विराजमान रहते हैं। मान्यता है कि नंदी की अनुमति लिए बिना कोई भी महादेव तक नहीं पहुंच सकता है। यही कारण है कि शिव के दर्शन-पूजन से पहले नंदी का पूजन अनिवार्य है । इस दौरान भक्त अपनी मनोकामनाएं नंदी जी के कान में बताते हैं

कैसे बने नंदी भगवान् शिव के सबसे प्रिय गण ?

पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवताओं और असुरों के बीच अमरत्व के लिए युद्ध हुआ । दोनों पक्षों ने समुद्र मंथन कर अमृत पाने की कोशिश की । समुद्र मंथन से सबसे पहले हलाहल विष निकला ।  समस्त संसार के कल्याण के लिए भगवान शिव ने विषपान किया, तभी उसकी कुछ बूंदे धरती पर गिर गईं तो नंदी ने अपने आराध्य को विष पीता देख धरती पर गिरे विष को जीभ से चाट लिया । उनके इसी भक्ति भाव से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें अपने सबसे बड़े भक्त की उपाधि दी और वरदान भी दिया कि मेरे दर्शन से पहले भक्त नंदी के दर्शन करेंगे ।  

आराध्य को देख नंदी ने भी किया विषपान

पौराणिक  मान्यताओं  के अनुसार जिस तरह भगवान राम के परम भक्त हनुमान जी हैं, उसी तरह भगवान शिव के परम भक्त नंदी महाराज हैं। जिस तरह हनुमान की पूजा करने से भगवान श्री राम की कृपा मिलती है, ठीक उसी तरह नंदी की पूजा करने से महादेव की कृपा प्राप्त होती है । पुराणों में नंदी पूजन का विशेष विधान बताया गया है जिसके अनुसार नंदी की प्रतिमा के सामने दीपक जरूर जलना चाहिए , तिलक करने के बाद उन्हें भी फूल-माला-प्रसाद इत्यादि भेंट करना चाहिए ।

अक्षरा आर्या