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पंढरपुर : धार्मिक-आध्यात्मिक रूप से समृद्ध नगर जो विट्ठल समुदाय का प्रमुख केंद्र है

कहां है पंढरपुर ?

 

पंढरपुर, महाराष्ट्र के जिले सोलापुर में भीमा नदी के किनारे बसा हुआ एक प्रसिद्ध नगर है, जो विट्ठल संप्रदाय (वारकारी संप्रदाय) का प्रमुख केंद्र है। पंढरपुर को पंढारी के नाम से भी जाना जाता है। यह नगर भक्ति संप्रदाय को समर्पित मराठी कवि संतो की भूमि भी कहलाता है। इसके बारे में सबसे पुराना उल्लेख 516 ई. के राष्ट्रकूट युग के ताम्रपत्र शिलालेख में मिलता है। पंढरपुर को दक्षिण का काशी भी कहा जाता है। भगवान विष्णु के अवतार विठ्ठल और उनकी पत्नी रुक्मिणी के सम्मान में भक्त साल में चार बार यहां त्योहार मनाने के लिए एकत्र होते हैं और यात्रा निकालते हैं। मान्यता है कि ये यात्राएं पिछले 8 सौ वर्षों से लगातार आयोजित हो रही हैं। धार्मिक और आध्यात्मिक रूप से समृद्ध पंढरपुर में कई प्रसिद्ध मंदिर हैं।

 

श्री विठ्ठल रुक्मिणी मंदिर

 

श्री विठ्ठल रुक्मिणी मंदिर को ‘विठोबा मंदिर’ भी कहा जाता है। भगवान विठ्ठल भगवान कृष्ण के ही एक रुप हैं और उन्हें विष्णु जी का ही एक अवतार कहा जाता है । ये मंदिर भगवान कृष्ण और  रुक्मिणी को समर्पित प्रमुख मंदिर है। इसका निर्माण होयसल राजवंश के राजा विष्णुवर्धन ने 1108-1152 ईसवी काल में करवाया था। मंदिर का निर्माण होयसल वास्तु शैली में हुआ है। मंदिर के पास ही पवित्र नदी भीमा भी बहती है। मंदिर परिसर में भगवान गणेश, हनुमान, गरुड़ और अन्य देवी-देवताओं के भी स्थान हैं।

 

पुंडलिक मंदिर

 

पुंडलिक मंदिर, पंढरपुर में स्थित प्रसिद्ध विठ्ठल मंदिर के साथ जुड़ा एक महत्वपूर्ण मंदिर है। यह भगवान विट्ठल के भक्त पुंडलिक को समर्पित है, जिन्हें भगावन विठ्ठल को पंढरपुर लाने का श्रेय दिया जाता है। मंदिर एक पांच मंज़िला इमारत है, जिसमें एक शिवालय शिखर है। मंदिर परिसर में महाशिवरात्रि का त्यौहार बड़े पैमाने पर मनाया जाता है। पुंडलिक मंदिर पंढरपुर के लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक है।

 

श्री गोपालकृष्ण मंदिर

 

पंढरपुर में गोवर्धन पर्वत के ऊपर स्थित है श्री गोपालकृष्ण मंदिर, जो भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित है। मंदिर एक किले जैसा दिखाई देता है और इसमें भूमिगत कक्ष हैं। मंदिर परिसर में एक रसोई और एक पीसने का स्थान भी है। माना जाता है कि दोनों का उपयोग भगावन श्री कृष्ण किया करते थे। यह इतना महत्वपूर्ण स्थान है कि अगर कोई तीर्थयात्री श्री गोपालकृष्ण मंदिर में नहीं रुकता है तो उसकी यात्रा अधूरी मानी जाती है। यह मंदिर पंढरपुर के पास घूमने के लिए पवित्र स्थानों में से एक है।

 

विष्णुपद मंदिर

 

पंढरपुर में भीमा नदी के किनारे स्थापित एक खुला हॉल वाला मंदिर है, जो 16 स्तंभों पर टिका हुआ है। यहां स्तंभ पर भगवान विष्णु और भगवान कृष्ण की कई मुद्राओं में छवियां प्रदर्शित की गई हैं। मंदिर के बीच में एक चट्टान है, जिस पर भगवान कृष्ण के पैरों के निशान के साथ ही गायों और बछड़ों के खुरों के भी चिन्ह हैं। इन चिन्हों को अतिशुभ माना जाता है। तीर्थयात्री इन निशानों की पूजा करके पुण्य लाभ पाते हैं।

 

इस्कॉन भुवैकुंठ मंदिर

 

यह पंढरपुर में चंद्रभागा नदी के पूर्वी तट पर स्थित है। इस मंदिर का निर्माण 1980 के दशक की शुरूआत में इस्कॉन ने करवाया था । इस भव्य मंदिर में श्री श्री राधा पंढरीनाथ जी की पूजा की जाती है जो भगवान विठ्ठल का एक रुप हैं। इस्कॉन यानि इंटरनेशनल सोसाइटी फ़ॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस ने इस भव्य मंदिर का निर्माण नागर शैली में कराया है। ये मंदिर आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक गतिविधियों के लिए एक केंद्र के रूप में निरंतर कार्य कर रहा है।

 

:- नईम अहमद