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भगवद् गीता और नाट्यशास्त्र को मिला वैश्विक सम्मान

यूनेस्को ने ‘मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर’ में भगवद गीता और भरतमुनि के नाट्यशास्त्र को शामिल कर लिया है । अंतरराष्ट्रीय धरोहरों के संरक्षण से जुड़ी संयुक्त राष्ट्र की इकाई यूनेस्को (UNESCO) ने इन दो लिखित धरोहरों को मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर में शामिल किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस गर्व का क्षण बताया है ।

क्या है मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर?
 

यूनेस्को का मतलब है- यूनाइटेड नेशंस एजुकेशनल, साइंटिफिक एंड कल्चरल ऑर्गनाइजेशन। अपनी सांस्कृतिक-शैक्षिक योजनाओं के तहत संस्था अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्राचीन धरोहरों के संरक्षण के लिए भी प्रयासरत है । यूनेस्को के मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर में नाम दर्ज होना उस देश की दस्तावेजी धरोहर की अहमियत बताने और उसे लोकप्रिय बनाने में अहम साबित होता है। इसके जरिए इन दस्तावेजों पर अनुसंधान, इससे जुड़ी शिक्षा और पुस्तकालयों में संग्रहण पर जोर दिया जाता है।

भगवत गीता

भगवत गीता में कुरुक्षेत्र में हुए महाभारत युद्ध की शुरुआत से पहले भगवन श्रीकृष्ण और अर्जुन के बीच का संवाद है। श्रीकृष्ण की शिक्षाओं ने अर्जुन को जीवन के प्रति दृष्टिकोण और लक्ष्य को बदलने में मदद की। गीता भारत की समृद्ध संस्कृति और परंपरा से परिचित कराती है।

नाट्यशास्त्र
 

भरतमुनि का नाट्य शास्त्र भारत के सबसे प्राचीन ग्रंथों में से एक है। यह अपने विचारों के साथ साथ व्यापक विषयगत समग्रता से परिपूर्ण है। भारतीय नाट्य कला को समझने में इस ग्रंथ को सबसे ऊपर माना जाता है।

प्रधानमंत्री ने क्या कहा ?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे भारत के लिए गर्व का क्षण बताया है। उन्होंने कहा कि यह हमारी प्राचीन ज्ञान और संस्कृति की वैश्विक स्तर पर पहचान को स्थापित करता है । यूनेस्को का मेमोरी ऑफ वर्ल्ड रजिस्टर दुनिया की महत्वपूर्ण दस्तावेजी धरोहरों को बचाने और उन्हें हमेशा के लिए उपलब्ध कराने की एक कोशिश है। इस लिस्ट में शामिल होने से अतीत की इन धरोहर ग्रंथों को सुरक्षित रखने में मदद मिलेगी।