जब हम अपने दिए गए निश्चित समय में कुछ अशुभ, ग़लत, अनैतिक या कुछ भी ऐसा करते हैं जिससे मानव जाति का नुक़सान होता हो तब हम नकारात्मक चीज़ों के पात्र बनते हैं। हमारी जो यह शिकायत है कि हम कामयाब नहीं हो पा रहे, या ये कि हमें जीवन में सुख, शांति और प्रेम नहीं मिल रहा, इसका अर्थ यह है कि हम अपने समय का सदुपयोग नहीं करना जानते।
गुरुदेव के मुखारविंद से अक्सर सुना है - "ना भूतो ना भविष्यति।" कल और कल दोनों ही नहीं है। अगर कहीं है भी तो हमारे मस्तिष्क से बाहर इनका कोई अस्तित्व नहीं। यह जो हमें फ्रिज, टीवी, वाशिंग मशीन भी दस-दस साल की गारंटी वाले चाहिए, वो इसलिए चूँकि हम कुछ करना नहीं चाहते। चूँकि हमने हर चीज़ के हेतु बना लिए हैं तो हम निरंतर इस उम्मीद में रहते हैं कि बस, ये काम करने के बाद आराम। जब नवयुग के आधुनिक मानव अकर्मण्यता की धूल उड़ाता हुआ चलता है तो वो ये भूल जाता है कि उसी गंध को, उसी धूल को ख़ुद ग्रहण कर रहा होता है। इस पर सितम यह है कि वो चाहता है कि हर कोई आलसी, अकर्मण्य बन जाए, जिससे वो आत्म ग्लानि से भी मुक्ति पा सके। वरना आप सोचके देखिए, कितने ही लोग आपको अधिक श्रम करने के लिए प्रेरित करते हैं? कौन है जो आपको श्रेष्ठ बनने के लिए उत्सुक करता हो?
समय को हम सबसे अधिक For granted लेते हैं। गारंटी वारंटी सिर्फ अभी की है, वरना वो कब साँस खींच ले कुछ कह नहीं सकते। जब तक आप इस धरा पर हैं, तब तक अपना सर्वश्रेष्ठ कीजिए, हर छोटे बड़े कार्य को अपना बेस्ट दीजिए। जिस वक्त जो भी कर रहे हों, उसी को करें। ये बहुत मुश्किल है, लेकिन करें भी तो क्या, जीवन आसान इसी से होता है!