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रविवार व्रत: स्वास्थ्य, तेजस्विता और सफलता का स्रोत

 

हिंदू धर्म में सूर्य देव को जीवन, प्रकाश, ऊर्जा और सफलता का देवता माना जाता है। रविवार का दिन सूर्य भगवान को समर्पित है और इस दिन रखा गया व्रत न केवल शारीरिक और मानसिक बल प्रदान करता है बल्कि जीवन की कई बाधाओं को दूर करने में भी सहायक माना जाता है। यह व्रत स्वास्थ्य, तेजस्विता, आत्मबल और पारिवारिक सुख- समृद्धि प्राप्त कराने वाला बताया गया है।

 

व्रत का महत्व

रविवार व्रत रखने से नेत्र रोग, त्वचा रोग और शरीर से जुड़ी कई अन्य समस्याओं में राहत मिलती है। यह व्रत शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है, जिससे बीमारियाँ जल्दी नहीं लगतीं। जिन लोगों की कुंडली में सूर्य कमजोर होता है, उनके लिए यह व्रत बहुत शुभ माना जाता है। यह हृदय, रक्त संचार, करियर में रुकावट, मान-सम्मान की कमी और आत्मविश्वास की कमी जैसे दोषों को दूर करने में सहायक होता है। इस व्रत से बुद्धि प्रखर होती है और सोच सकारात्मक बनती है। नियमित रूप से रविवार व्रत करने से जीवन में स्थिरता, प्रकाश, सफलता और उन्नति आती है।

 

व्रत विधी

वैदिक मान्यताओं के अनुसार रविवार व्रत शुरू करने का सबसे शुभ समय आश्विन माह के शुक्ल पक्ष का पहला रविवार माना गया है। इस व्रत को श्रद्धा और क्षमता के अनुसार लगातार 12 या 30 रविवार तक किया जा सकता है। व्रत सूर्योदय से सूर्यास्त तक ही रखा जाता है, व्रत वाले दिन स्नान करके सूर्य देव की उपासना करें एक लोटे में जल भरें, उसमें थोड़ा कुमकुम और लाल फूल डालें और पूर्व दिशा की ओर मुख करके सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करें। ध्यान रखें कि अर्घ्य का जल किसी पेड़ की मिट्टी में ही प्रवाहित करें, जिससे वह किसी अपवित्र स्थान पर न जाए। अर्घ्य देने के बाद, मूँगे की माला से सूर्य देव के नामों का जप करना अत्यंत फलदायी माना गया है।

 

आहार नियम

रविवार व्रत में सूर्यास्त से पहले केवल एक बार भोजन किया जाता है। व्रत में सात्विक भोजन और फलाहार करें जिसमें भोजन में गेहूं की रोटी, दलिया, दूध, दही, घी, इत्यादि इस्तेमाल कर सकते हैं। भोजन में नमक और तेल का प्रयोग नहीं करना चाहिए। यदि किसी कारण भोजन किए बिना सूर्यास्त हो जाए, तो फिर अगले दिन सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करने के बाद ही भोजन करना चाहिए। 

 

व्रत उद्यापन

रविवार व्रत के उद्यापन या पूजा में किसी ब्राह्मण को बुलाकर सूर्य देव की पूजा करें, व्रत कथा का श्रवण करें, सूर्य मंत्रों का जाप कर के हवन करवाएं। अंत में ब्राह्मण को भोजन कराएं और फिर स्वयं प्रसाद ग्रहण करें। सूर्य ग्रह से जुड़ी वस्तुओं का दान जैसे गेहूँ, गुड़, घी, लाल वस्त्र, लाल मूँग दाल, गौ-दान, माणिक, सोना और तांबा अपनी श्रद्धा और सामर्थ्य के अनुसार करें।

 

भगवान भाव के भूखे होते हैं, इसलिए सच्चे मन से की गई पूजा-पाठ और दान अवश्य फल देता है। सूर्य देव को आयु, बल और उत्साह का देवता माना गया है। सच्ची श्रद्धा और भक्ति से किया गया यह व्रत हर प्रकार से शुभ फल देता है। 

 

: - वर्तिका श्रीवास्तव

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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हिंदू धर्म में सूर्य देव को जीवन, प्रकाश, ऊर्जा और सफलता का देवता माना जाता है। रविवार का दिन सूर्य भगवान को समर्पित है और इस दिन रखा गया व्रत न केवल शारीरिक और मानसिक बल प्रदान करता है बल्कि जीवन की कई बाधाओं को दूर करने में भी सहायक माना जाता है। यह व्रत स्वास्थ्य, तेजस्विता, आत्मबल और पारिवारिक सुख- समृद्धि प्राप्त कराने वाला बताया गया है।

 

व्रत का महत्व

रविवार व्रत रखने से नेत्र रोग, त्वचा रोग और शरीर से जुड़ी कई अन्य समस्याओं में राहत मिलती है। यह व्रत शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है, जिससे बीमारियाँ जल्दी नहीं लगतीं। जिन लोगों की कुंडली में सूर्य कमजोर होता है, उनके लिए यह व्रत बहुत शुभ माना जाता है। यह हृदय, रक्त संचार, करियर में रुकावट, मान-सम्मान की कमी और आत्मविश्वास की कमी जैसे दोषों को दूर करने में सहायक होता है। इस व्रत से बुद्धि प्रखर होती है और सोच सकारात्मक बनती है। नियमित रूप से रविवार व्रत करने से जीवन में स्थिरता, प्रकाश, सफलता और उन्नति आती है।

 

व्रत विधी

वैदिक मान्यताओं के अनुसार रविवार व्रत शुरू करने का सबसे शुभ समय आश्विन माह के शुक्ल पक्ष का पहला रविवार माना गया है। इस व्रत को श्रद्धा और क्षमता के अनुसार लगातार 12 या 30 रविवार तक किया जा सकता है। व्रत सूर्योदय से सूर्यास्त तक ही रखा जाता है, व्रत वाले दिन स्नान करके सूर्य देव की उपासना करें एक लोटे में जल भरें, उसमें थोड़ा कुमकुम और लाल फूल डालें और पूर्व दिशा की ओर मुख करके सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करें। ध्यान रखें कि अर्घ्य का जल किसी पेड़ की मिट्टी में ही प्रवाहित करें, जिससे वह किसी अपवित्र स्थान पर न जाए। अर्घ्य देने के बाद, मूँगे की माला से सूर्य देव के नामों का जप करना अत्यंत फलदायी माना गया है।

 

आहार नियम

रविवार व्रत में सूर्यास्त से पहले केवल एक बार भोजन किया जाता है। व्रत में सात्विक भोजन और फलाहार करें जिसमें भोजन में गेहूं की रोटी, दलिया, दूध, दही, घी, इत्यादि इस्तेमाल कर सकते हैं। भोजन में नमक और तेल का प्रयोग नहीं करना चाहिए। यदि किसी कारण भोजन किए बिना सूर्यास्त हो जाए, तो फिर अगले दिन सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करने के बाद ही भोजन करना चाहिए। 

 

व्रत उद्यापन

रविवार व्रत के उद्यापन या पूजा में किसी ब्राह्मण को बुलाकर सूर्य देव की पूजा करें, व्रत कथा का श्रवण करें, सूर्य मंत्रों का जाप कर के हवन करवाएं। अंत में ब्राह्मण को भोजन कराएं और फिर स्वयं प्रसाद ग्रहण करें। सूर्य ग्रह से जुड़ी वस्तुओं का दान जैसे गेहूँ, गुड़, घी, लाल वस्त्र, लाल मूँग दाल, गौ-दान, माणिक, सोना और तांबा अपनी श्रद्धा और सामर्थ्य के अनुसार करें।

 

भगवान भाव के भूखे होते हैं, इसलिए सच्चे मन से की गई पूजा-पाठ और दान अवश्य फल देता है। सूर्य देव को आयु, बल और उत्साह का देवता माना गया है। सच्ची श्रद्धा और भक्ति से किया गया यह व्रत हर प्रकार से शुभ फल देता है। 

 

: - वर्तिका श्रीवास्तव