आज तक आपने गणेश जी प्रतिमा सिर्फ मिट्टी, पत्थर, सीमेंट, सोना-चांदी या अन्य किसी धातु की देखी-सुनी होगी। लेकिन बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन में बने बड़ा गणेश मंदिर में गणेश जी की मूर्ति को बनाने में सीमेंट का नहीं बल्कि गुड़, मेथी दाने के साथ ही चूना, बालू और रेत का प्रयोग किया गया है। इसीलिए इसे मसालेवाले गणपति भी कहा जाता है।
मूर्ति को बनाने में सभी पवित्र तीर्थ स्थलों का जल मिलाया गया। इतना ही नहीं, सात मोक्षपुरियों मथुरा, द्वारिका, अयोध्या, कांची, उज्जैन, काशी और हरिद्वार से लाई हुई मिट्टी भी मिलाई गई है। 18 फीट ऊंची और 10 फीट चौड़ी इस मूर्ति को बनाने में ढाई वर्ष का समय लगा था। यहाँ भगवान गणेश अपनी पत्नी रिद्धि और सिद्धि के साथ विराजमान हैं। यही कारण है कि यह मूर्ति अन्य मूर्तियों से अलग स्थान रखती है। कहा जाता है कि ये मूर्ति लगभग 114 वर्षों पूर्व महर्षि गुरु महाराज सिद्धांत वागेश पंडित नारायण व्यास जी ने स्थापित करवाई थी। रक्षाबंधन पर देश-विदेश से गणेश जी को राखियां भी भेजी जाती हैं । गणेश चतुर्थी से अनंत चतुर्दशी तक यहाँ भक्तों की काफी बड़ी संख्या में भीड़ देखी जाती है।