ज्ञान, सुख-समृद्धि और सौभाग्य अर्जित करने का पर्व गणेश उत्सव धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस दौरान गणेश जी की विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना करने वाले साधकों को भरपूर आशीर्वाद मिलता है।
मान्यतानुसार जब-जब धर्म की हानि होती है, तब-तब देवी-देवता अलग-अलग अवतार धारण करते हैं। इसी प्रकार असुरों का नाश करने के लिए गणेश जी ने भी कई अवतार लिए। आइए, आपको उनके बारे में विस्तार से बताते हैं।
यूं तो पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान गणेश जी के 64 अवतारों का वर्णन है, लेकिन मुद्गल पुराण के अनुसार 8 मुख्य अवतार हैं।
सबसे पहले बात एकदंत अवतार की
भगवान गणेश जी का एक दांत पूरा है और एक दांत टूटा हुआ है, जिस कारण उन्हें एकदंत भी कहा जाता है। इस अवतार में भगवान गणेश ने देवताओं को मदासुर के प्रकोप से मुक्ति दिलाई। मद का एक अर्थ नशा भी होता है। गणेश जी का ये अवतार संदेश देता हैं कि हमें किसी भी प्रकार के नशे से दूर रहना चाहिए।
गणेश जी का दूसरा अवतार है धूम्रवर्ण अवतार
ये अवतार भगवान गणेश ने अहंतासुर का नाश करने के लिए लिया था। इस अवतार में गणेश जी का रंग धुंए जैसा था, इसलिए इसे धूम्रवर्ण अवतार कहते हैं। यहां अहंतासुर अंहकार का प्रतीक है। ऐसे में गणेश जी का ये अवतार अंहकार से मुक्ति का रास्ता दिखाता है।
तीसरे अवतार में गणेश जी को लंबोदरपुकारा जाता है
लंबोदर का शाब्दिक अर्थ होता है लंबे या बड़े पेट वाला। भगवान गणेश ने क्रोधासुर का वध करने के लिए लंबोदर अवतार को धारण किया। इस प्रकार गणेश जी की उपासना करने से व्यक्ति क्रोध रूपी राक्षस से भी मुक्ति पा सकता है।
गणेश जी का अगला अवतार है महोदरअवतार
जब एक मोहासुन नाम के राक्षस ने देवताओं को पराजित कर स्वर्ग पर अपना अधिकार जमा लिया तब विघ्नहर्ता गणेश जी को महोदर अवतार लेना पड़ा। इस रूप में गणेश जी ने मोहासुन का वध किया। यहां मोहासुन का वध मोह से मुक्ति का प्रतीक है।
भगवान गणेश जी का पांचवे अवतार को कहते हैंवक्रतुंड अवतार
भगवान गणेश ने वक्रतुंड अवतार मत्सरासुर नामक राक्षस का वध करने के लिए लिया था। यहां मत्सर का अर्थ है दूसरों के सुख को देखकर जलना। ऐसे में भगवान गणेश का वक्रतुंड अवतार हमें इस अवगुण से मुक्ति का संदेश देता है।
गणेश जी की 6ठवां अवतार हैविकट
गणेश जी ने विकट अवतार धारण कर कामासुर नामक दैत्य का वध किया था। इस स्वरूप में गणेश जी मोर पर विराजमान हैं। यहां काम का अर्थ है कामवासना। ऐसे में गणेश जी का विकट अवतार हमें कामवासना से मुक्ति की राह दिखाता है।
भगवान गणेश का सातवां अवतार है गजाननअवतार
इस अवतार में गणेश जी ने लोभासुर नाम के राक्षस का अंत किया था। लोभासुर यानी लालच। कई बार मनुष्य लोभ के कारण अपना ही नुकसान कर बैठता है। ऐसे में गजानन का ये अवतार हमें लोभ से मुक्ति का संदेश देता है।
गणेश जी का आठवां अवतार हैविघ्नराज अवतार
भगवान गणेश ने विघ्नराज अवतार ममासुर को सबक सिखाने के लिए धारण किया था। इस अवतार में वह शेर को अपना वाहन बनाए हुए हैं। ममासुर का पुरुष रूप में जन्म माता पार्वती की हंसी से हुआ था, लेकिन बाद में वो दैत्यों से जा मिला था।
गणेश उत्सव का पर्व 10 दिनों तक यानी गणेश चतुर्थी से अनंत चतुर्दशी तक मनाया जाता है। मान्यता है कि इन पवित्र दिनों में भगवान गणेश अपने भक्तों को आशीर्वाद देने धरती पर पधारते हैं। इसलिए भव्य पंडाल बनाकर या घर में विराजित करके भगवान गणेश की प्रतिमा की विधिवत उपासना होती है। तो आइए, हम सब भी भगवान गणेश जी की भक्ति में लीन हो जाएं और उनका आशीप प्राप्त करें।