गणपति शब्द का अर्थ क्या होता है और कौन हैं भगवान गणेश ?
गणपति शब्द दो शब्दों के मेल से बना है गण और पति। गण शब्द के कई अर्थ होते हैं और गण को समूह भी कहा जाता है। हिन्दू मान्यता के अनुसार गण तीन प्रकार के होते हैं जैसे - देवगण, राक्षस गण और मनुष्य गण। गणों को ही दिक्पाल, दिशाओं का संरक्षक या दिक्देव भी कहते हैं। अतः गणपति का अर्थ हुआ दिशाओं के पति यानि स्वामी। पति का अर्थ होता है पालन करने वाला। अर्थात दिशाओं के अधिपति हैं श्री गणेश। शास्त्रों में गणपति को बुद्धि, ज्ञान और शुभता का देवता माना गया है। इन्हें विघ्नहर्ता भी कहा जाता है, यानी बाधाओं को दूर करने वाले। गणपति का पूजन पहले करने का उद्देश्य है - कार्य की सफलता की कामना करना।
अगर बात करें कि गणेश कौन हैं ? तो ये सब जानते हैं कि गणेश जी महादेव और माता पार्वती के पुत्र हैं। परन्तु देवी पार्वती और शंकर जी के विवाह से पूर्व भी गणेश जी थे। इसलिए ही भोलेनाथ और पार्वती जी के विवाह के समय भी श्रीगणेश जी का पूजन किया गया था। श्रीरामचरितमास के बालकाण्ड में शिव विवाह के समय गोस्वामी तुलसीदास जी लिखते हैं।
मुनि अनुसासन गनपतिहि पूजेउ संभु भवानि
कोउ सुनि संसय करै जनि सुर अनादि जियँ जानि
अर्थात:- मुनियों की आज्ञा से शिवजी और पार्वतीजी ने गणेशजी का पूजन किया। मन में देवताओं को अनादि समझकर कोई इस बात को सुनकर शंका न करे कि गणेशजी तो शिव-पार्वती की संतान हैं, अभी विवाह से पूर्व ही वे कहाँ से आ गए ?
गणेश जी भी महादेव के तरह आदि देव हैं। ये भगवान की एक लीला थी । एक समय देवी पार्वती ने भगवान गणेश से प्रार्थना की कि आप ही मेरे पुत्र रूप में आएं। चूंकि माँ पार्वती भगवती हैं, वो किसी भी संतान को अपने गर्भ से जन्म नहीं दे सकती थीं। इसलिए देवी के आग्रह पर गणेश जी ही पार्वतीजी के पास भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी पर पुत्र रूप में अवतरित हुए और पार्वती जी ने उनका नाम विनायक रखा। इस प्रकार लीला कर भगवान अपने भक्तों के लिए कई बार प्रकट होते हैं और हर प्राकट्य के पीछे कोई ना कोई कथा या रहस्य छिपा होता है।