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दिल्ली की पहचान हैं रामलीलाएं

दिल्ली सिर्फ देश की राजनीतिक राजधानी ही नहीं है बल्कि धार्मिक-सांस्कृतिक रूप से भी पूरे देश में अपनी पहचान रखती है । जिस तरह मुंबई में गणेशोत्सव और कोलकाता में दुर्गापूजा होती है उसी तरह दिल्ली रामलीलाओं के लिए जानी जाती है । इस वर्ष भी रामलीला की तैयारियां अपने अंतिम दौर में हैं और भव्य मंच और पंडाल बनाये जा रहे हैं।

खास बात ये है कि इस बार दिल्ली की सरकार ने रामलीला कमेटियों के लिए कई सहूलियतों की घोषणा की है जिसमें 1200 यूनिट तक मुफ्त बिजली के साथ ही बिजली कनेक्शन के लिए पहले की तुलना में अब केवल 25 प्रतिशत सिक्योरिटी डिपॉजिट देना होगा। साथ ही, इस बार सिंगल विंडो सिस्टम लागू किया गया है जिससे समितियों को एनओसी के लिए इधर-उधर भटकना नहीं पड़ेगा। आयोजन स्थलों पर सफाई, फॉगिंग, शौचालय और कूड़ा प्रबंधन की समयबद्ध व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी। स्वास्थ्य विभाग सभी आवश्यक स्वास्थ्य सुविधाएँ उपलब्ध कराएगा, वहीं फायर ब्रिगेड, पुलिस और ट्रैफिक प्रबंधन की भी पुख्ता व्यवस्था रहेगी।

दिल्ली में इस बार 500 से ज्यादा स्थानों पर रामलीलाएं मंचित की जाएंगी । इनमें से 50 रामलीला कमेटियां ऐसी हैं जिनकी रामलीलाएं आसपास प्रसिद्ध हैं । इस बार 22 सितंबर से शुरू होकर 3 अक्टूबर को भरत मिलाप के प्रसंग के मंचन के साथ रामलीला समाप्त होगी । दिल्ली की प्रसिद्ध लवकुश रामलीला कमेटी ने इस बार मंच को सोमनाथ के मंदिर का स्वरूप दिया है । इस साल रामलीला मंचन को और भी भव्य बनाने के लिए नई तकनीकों का इस्तेमाल किया जाएगा. एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस), डिजिटल और हाईटेक तकनीकों, 3डी मैपिंग और विजुअल इफेक्ट्स का प्रयोग करके दर्शकों को एक शानदार अनुभव दिया जाएगा । इसी तरह श्री धार्मिक लीला कमेटी और श्री आदर्श रामलीला कमेटी के साथ ही दिलशाद गार्डन, सूरजमल विहार, दिल्ली कैंट इत्यादि की रामलीला कमेटियां भी काफी प्रसिद्ध हैं ।

दिल्ली में रामलीला का एक लंबा और समृद्ध इतिहास रहा है। यह दशहरा उत्सव के दौरान रामायण महाकाव्य का एक नाटकीय पुनरावर्तन है, जिसमें गीत, संवाद और नृत्य शामिल होते हैं। दिल्ली में रामलीला की शुरुआत पुरानी दिल्ली के सीताराम बाज़ार से हुई और बाद में इसे प्रसिद्ध रामलीला मैदान में स्थानांतरित कर दिया गया। आज, दिल्ली के कई इलाकों में रामलीलाएँ आयोजित की जाती हैं।

दिल्ली में रामलीला और उससे जुड़े मेलों की सदियों पुरानी परंपरा को देखते हुए, यह स्पष्ट है कि पहले भी बाधाएँ आई हैं – और राम भक्तों की हमेशा जीत हुई है। जब औरंगज़ेब ने रामलीला पर प्रतिबंध लगाया, तो उसके उत्तराधिकारियों को ऋण देकर इसे पुनर्जीवित किया गया। कई ऐतिहासिक ग्रंथों में उल्लेख है कि पुरानी दिल्ली का सीताराम बाज़ार मुग़ल काल में रामलीला का केंद्र था, जहाँ दूर-दूर से पर्यटक आते थे।

:- आस्था मीनाक्षी