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संस्कृत में एकादश का अर्थ 11 होता है। एकादशी व्रत बढ़ते (नव चंद्र से पूर्णिमा तक) और घटते (पूर्णिमा से अमावस्या तक) चंद्रमा के 11वें दिन मनाया जाता है। चूँकि चंद्रमा 28 दिनों में पृथ्वी की परिक्रमा करता है, इसलिए आमतौर पर एक महीने में दो एकादशी होती हैं । एकादशी व्रत का मुख्य उद्देश्य उपवास रखना और भगवान नारायण अथवा श्री कृष्ण के चरणकमलों की भक्ति में अधिकतम समय समर्पित करना है। इससे भगवान अत्यंत प्रसन्न होते हैं और उनकी असीम कृपा प्राप्त होती है। यह व्रत आध्यात्मिक रूप से उन्नति का मार्ग प्रशस्त करता है।
एकादशी व्रत क्या है ?
वैदिक साहित्य एकादशी व्रत की महिमा से भरा पड़ा है । वैसे भी व्रत या उपवास का अर्थ है - श्रीगुरु या श्रीहरि के निकट रहकर अधिकतम और यथासंभव सर्वोत्तम भक्ति सेवाएँ प्रदान करना। एकादशी के दिन हम उपवास करते हैं ताकि हम अपना अधिक समय जप या भक्ति सेवाओं द्वारा भगवान की सेवा में लगा सकें। इस दिन हमें प्रतिदिन की तुलना में अधिक "हरे कृष्ण - महामंत्र" का जप करने और अधिक भक्ति साहित्य पढ़ने की योजना बनानी चाहिए। मंदिर में भक्तों की संगति में अधिक समय बिताना चाहिए। कृष्ण की लीलाओं का स्मरण करना और उनके पवित्र नामों का गायन और कीर्तन सुनना सबसे अच्छी बात है। एकादशी का उद्देश्य कृष्ण के प्रति हमारे प्रेम को बढ़ाना है । इस दिन अन्न (प्रसाद सहित) ग्रहण नहीं करना चाहिए, बल्कि फल और अन्य अनुमत वस्तुएँ ग्रहण की जा सकती हैं। पूर्ण उपवास और निर्जला (बिना जल के भी) सर्वोत्तम माना जाता है।
शास्त्र और पुराणों के अनुसार, एकादशी को हरि दिन कहा जाता है। महाभारत काल में पांडवों के अलावा पितामह भीष्म ने भी इस व्रत को किया था। कहते हैं कि इस व्रत के प्रभाव से उन्होंने अपनी मृत्यु का समय खुद चुना था। कहते हैं कि एकादशी के व्रत को करने से मनुष्य समस्त पापों से मुक्त हो जाता है। इस व्रत को करने से वह मोक्ष को प्राप्त करता है।
एकादशी व्रत के दिन क्या करें ?
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एकादशी, व्रती को दशमी तिथि के सूर्यास्त के समय से ही शुरू कर देना चाहिए।
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एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठें। नित्य क्रिया करके विष्णु भगवान की पूजा करें।
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दशमी तिथि के दिन बिना नमक का खाना खाना चाहिए।
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व्रत के दिन मन में विष्णु अथवा कृष्ण जी के मंत्रों का जाप करें, ज्यादा बातचीत न करें।
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व्रत के दौरान ताजे फल, मेवा, चीनी, कुट्टू का आटा, नारियल, जैतून, दूध, अदरक, काली मिर्च, सेंधा नमक, आलू, साबूदाना, शकरकंद आदि ग्रहण कर सकते हैं।

