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हिंदू और जैन धर्म में रोहिणी व्रत है विशेष, जानिए व्रत की कथा

क्या आप जानते हैं कि रोहिणी व्रत सिर्फ उपवास नहीं, बल्कि आस्था और श्रद्धा का प्रतीक माना गया है ? कहा जाता है कि जो व्यक्ति इस व्रत को सच्चे मन से करता है, उसके जीवन से दुख, संकट और दरिद्रता दूर हो जाती है। चंद्रमा की स्थिति के अनुसार रोहिणी व्रत हर महीने उस दिन रखा जाता है, जब आसमान में रोहिणी नक्षत्र का उदय होता है। अर्थात जब उदियातिथि अर्थात सूर्योदय के बाद रोहिणी नक्षत्र प्रबल होता है, उस दिन रोहिणी व्रत किया जाता है। यह व्रत मुख्य रूप से जैन धर्म में बहुत प्रसिद्ध है, लेकिन हिंदू धर्म में भी इसे शुभ फलदायी माना गया है। जैन मतावलम्बी इस दिन भगवान वासुपूज्य (जैन धर्म के 12वें तीर्थंकर) की पूजा करते हैं जबकि हिंदू धर्म में व्रत का संबंध विष्णुजी व चंद्रदेव से है, क्योंकि रोहिणी चंद्रमा की प्रिय पत्नी मानी हैं। आमतौर पर रोहिणी व्रत का पालन तीन, पाँच या सात वर्षों तक लगातार किया जाता है। नक्षत्र रोहिणी, हिन्दू एवं जैन कैलेण्डर में वर्णित, सत्ताइस नक्षत्रों में से एक है। इस माह में रोहिणी व्रत 07 नवम्बर 2025, शुक्रवार के दिन किया जाएगा।

 

पुराणों में वर्णन मिलता है कि राजा अशोकचंद्र अपनी रानी के साथ सुखी जीवन व्यतीत कर रहे थे। एक दिन राजमहल में एक संत आए, जिन्होंने रानी से कहा कि “हे देवी, यदि तुम अपने परिवार की सुख और समृद्धि को स्थायी बनाना चाहती हो, तो हर महीने रोहिणी व्रत अवश्य रखो।” रानी ने संत की बात मानकर यह व्रत करना शुरू किया। वह हर महीने रोहिणी नक्षत्र वाले दिन व्रत रखतीं, भगवान चंद्रदेव की पूजा करतीं और जरूरतमंदों को अन्न और वस्त्र दान देतीं। कुछ ही समय बाद उनके जीवन में सभी कष्ट दूर हो गए। राजा को भी राजकाज में सफलता मिलने लगी, राज्य में शांति स्थापित हुई और परिवार में सौहार्द बना रहा। कहा जाता है कि भगवान चंद्रदेव स्वयं प्रसन्न होकर रानी को आशीर्वाद देने प्रकट हुए और बोले “जो भी स्त्री या पुरुष इस व्रत को श्रद्धा से करेगा, उसके घर में कभी दुख नहीं आएगा।   

 

इस प्रकार रोहिणी व्रत करने से सौभाग्य, स्वास्थ्य और समृद्धि मिलती है। यह व्रत व्यक्ति के पिछले कर्मों के दोष को कम करता है। जैन धर्म में तो यह व्रत मोक्ष प्राप्ति का एक साधन भी माना गया है। ऐसा कहा जाता है कि जो व्यक्ति रोहिणी व्रत की कथा सुनता या सुनाता है, उसे कई जन्मों के पापों से मुक्ति मिलती है। हम आशा करते हैं आपको यह जानकारी पसंद आई होगी, इसी तरह की अन्य जानकारियों के लिए जुड़े रहिए ‘संस्कार’ के साथ।

 

:- रजत द्विवेदी

 

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हिंदू और जैन धर्म में रोहिणी व्रत है विशेष, जानिए व्रत की कथा

क्या आप जानते हैं कि रोहिणी व्रत सिर्फ उपवास नहीं, बल्कि आस्था और श्रद्धा का प्रतीक माना गया है ? कहा जाता है कि जो व्यक्ति इस व्रत को सच्चे मन से करता है, उसके जीवन से दुख, संकट और दरिद्रता दूर हो जाती है। चंद्रमा की स्थिति के अनुसार रोहिणी व्रत हर महीने उस दिन रखा जाता है, जब आसमान में रोहिणी नक्षत्र का उदय होता है। अर्थात जब उदियातिथि अर्थात सूर्योदय के बाद रोहिणी नक्षत्र प्रबल होता है, उस दिन रोहिणी व्रत किया जाता है। यह व्रत मुख्य रूप से जैन धर्म में बहुत प्रसिद्ध है, लेकिन हिंदू धर्म में भी इसे शुभ फलदायी माना गया है। जैन मतावलम्बी इस दिन भगवान वासुपूज्य (जैन धर्म के 12वें तीर्थंकर) की पूजा करते हैं जबकि हिंदू धर्म में व्रत का संबंध विष्णुजी व चंद्रदेव से है, क्योंकि रोहिणी चंद्रमा की प्रिय पत्नी मानी हैं। आमतौर पर रोहिणी व्रत का पालन तीन, पाँच या सात वर्षों तक लगातार किया जाता है। नक्षत्र रोहिणी, हिन्दू एवं जैन कैलेण्डर में वर्णित, सत्ताइस नक्षत्रों में से एक है। इस माह में रोहिणी व्रत 07 नवम्बर 2025, शुक्रवार के दिन किया जाएगा।

 

पुराणों में वर्णन मिलता है कि राजा अशोकचंद्र अपनी रानी के साथ सुखी जीवन व्यतीत कर रहे थे। एक दिन राजमहल में एक संत आए, जिन्होंने रानी से कहा कि “हे देवी, यदि तुम अपने परिवार की सुख और समृद्धि को स्थायी बनाना चाहती हो, तो हर महीने रोहिणी व्रत अवश्य रखो।” रानी ने संत की बात मानकर यह व्रत करना शुरू किया। वह हर महीने रोहिणी नक्षत्र वाले दिन व्रत रखतीं, भगवान चंद्रदेव की पूजा करतीं और जरूरतमंदों को अन्न और वस्त्र दान देतीं। कुछ ही समय बाद उनके जीवन में सभी कष्ट दूर हो गए। राजा को भी राजकाज में सफलता मिलने लगी, राज्य में शांति स्थापित हुई और परिवार में सौहार्द बना रहा। कहा जाता है कि भगवान चंद्रदेव स्वयं प्रसन्न होकर रानी को आशीर्वाद देने प्रकट हुए और बोले “जो भी स्त्री या पुरुष इस व्रत को श्रद्धा से करेगा, उसके घर में कभी दुख नहीं आएगा।   

 

इस प्रकार रोहिणी व्रत करने से सौभाग्य, स्वास्थ्य और समृद्धि मिलती है। यह व्रत व्यक्ति के पिछले कर्मों के दोष को कम करता है। जैन धर्म में तो यह व्रत मोक्ष प्राप्ति का एक साधन भी माना गया है। ऐसा कहा जाता है कि जो व्यक्ति रोहिणी व्रत की कथा सुनता या सुनाता है, उसे कई जन्मों के पापों से मुक्ति मिलती है। हम आशा करते हैं आपको यह जानकारी पसंद आई होगी, इसी तरह की अन्य जानकारियों के लिए जुड़े रहिए ‘संस्कार’ के साथ।

 

:- रजत द्विवेदी