हिन्दू धर्म में मंगलवार का दिन हनुमान जी को समर्पित माना जाता है। हनुमान जी सप्त-चिरंजीवियों में से एक हैं, इसलिए मंगलवार का व्रत अत्यंत फलदायक माना गया है। नवग्रहों में यह दिन मंगलग्रह का प्रतीक है, जो ऊर्जा, संघर्ष, साहस और विजय का कारक माना जाता है। मंगलवार व्रत केवल उपवास नहीं, बल्कि यह भय को हिम्मत, कमजोरी को शक्ति और उलझनों को समाधान में बदल देने वाला दिव्य साधन है। आइए विस्तार से समझते हैं।
व्रतका महत्व
मंगलवार व्रत का लक्ष्य शक्ति, साहस, स्वास्थ्य और मानसिक संतुलन की प्राप्ति है। इस व्रत को करने से, शत्रु भय, बाधा और रोग दूर होते हैं। मानसिक तनाव और नकारात्मक ऊर्जा नष्ट होती है और अस्थिर मन शांत होता है। साथ ही बल, बुद्धि, विद्या, पराक्रम और आत्मविश्वास का आशीर्वाद मिलता है, जो जीवन में सफलता के मार्ग खोलता है। भक्तों को सुरक्षा और निर्भयता का वरदान प्राप्त होता है।
व्रत के प्रकार
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मंगलवार व्रत भक्त अपनी श्रद्धा अनुसार शुक्लपक्ष में संक्ल्प लेकर उठाते हैं, जैसे -21 मंगलवार व्रत, 31 मंगलवार व्रत, 51 मंगलवार, पूर्ण उपवास व्रत, साप्ताहिक मंगलवार व्रत इत्यादि। व्रत का उद्देश्य एक ही है - भक्ति, शक्ति और संकल्प द्वारा हनुमान जी की कृपा प्राप्त करना।
व्रत आहार व नियम
हर व्रत संयम और शुद्धता का प्रतीक होता है, इसीलिए मान्यता के अनुसार उसमें तामसिक भोजन वर्जित होता है। फल, दूध, नारियल पानी, मूँगफली, मखाना, साबूदाना आदि फलाहार ही उत्तम है। कुछ क्षेत्रों में सिर्फ एक समय सात्विक भोजन किया जाता है, साथ ही ब्रह्मचर्य का पालन अनिवार्य माना गया है। हनुमान जी को मीठा पुआ, बूंदी और गुड़-चना का भोग लगाने की और व्रत के दौरान नमक का प्रयोग वर्जित रखने की प्रथा भी है।
व्रत की विधि
मंगलवार की सुबह स्नान करने के बाद श्रद्धा से व्रत का संकल्प लेकर पूजा प्रारंभ करें। पूजन स्थान को स्वच्छ रखें और चौकी पर हनुमान जी की मूर्ति, चित्र या यंत्र स्थापित करें, या फिर मंदिर मे जाकर चोला (सिंदूर व चमेली तेल), लाल पुष्प, तुलसी, गुड़-चना, लड्डू, नारियल अर्पित करें। धूप-दीप, नैवेद्य सहित षोडशोपचार पूजन करें। “ॐ हं हनुमत्यै नमः” मंत्र का जाप करें साथ ही सुन्दरकाण्ड, हनुमान चालीसा तथा व्रत कथा का पाठ करें और अंत में गाय को रोटी, गुड़ और चना खिलाएँ। दिनभर मन में सात्त्विकता, संयम, सत्य, शांति और सेवा बनाए रखें।
व्रत उद्यापन
व्रत की पूर्णता 21, 31, 51 अथवा निर्धारित संख्या पूर्ण होने पर की जाती है। उद्यापन में, आचार्य या ब्राह्मण को निमंत्रण देकर श्रध्दा अनुसार हनुमान जी को चोला (सिंदूर-चमेली तेल) चढ़ाया जाता है। लड्डू व बूंदी का भोग लगाया जाता है, षोडशोपचार पूजन और हवन किया जाता है। “ॐ हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट्” मंत्र से 108 आहुतियाँ दी जाती हैं साथ ही सुन्दरकाण्ड और हनुमान चालीसा का पाठ किया जाता है। ब्राह्मण भोजन और अपने सामर्थ्य के अनुसार दक्षिणा देकर इस व्रत का उद्यापन पूर्ण माना जाता है।
यह व्रत केवल उपवास नहीं, बल्कि, संकल्प, भक्ति, और अनुशासन का संगम है। यह मन को स्थिर करता है, विचारों को शुद्ध करता है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा प्रवाहित करता है। भय, भ्रम और अवसाद की स्थिति में हनुमान व्रत मन में शक्ति और विश्वास जगाता है।
हिन्दू धर्म में मंगलवार का दिन हनुमान जी को समर्पित माना जाता है। हनुमान जी सप्त-चिरंजीवियों में से एक हैं, इसलिए मंगलवार का व्रत अत्यंत फलदायक माना गया है। नवग्रहों में यह दिन मंगलग्रह का प्रतीक है, जो ऊर्जा, संघर्ष, साहस और विजय का कारक माना जाता है। मंगलवार व्रत केवल उपवास नहीं, बल्कि यह भय को हिम्मत, कमजोरी को शक्ति और उलझनों को समाधान में बदल देने वाला दिव्य साधन है। आइए विस्तार से समझते हैं।
व्रतका महत्व
मंगलवार व्रत का लक्ष्य शक्ति, साहस, स्वास्थ्य और मानसिक संतुलन की प्राप्ति है। इस व्रत को करने से, शत्रु भय, बाधा और रोग दूर होते हैं। मानसिक तनाव और नकारात्मक ऊर्जा नष्ट होती है और अस्थिर मन शांत होता है। साथ ही बल, बुद्धि, विद्या, पराक्रम और आत्मविश्वास का आशीर्वाद मिलता है, जो जीवन में सफलता के मार्ग खोलता है। भक्तों को सुरक्षा और निर्भयता का वरदान प्राप्त होता है।
व्रत के प्रकार
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मंगलवार व्रत भक्त अपनी श्रद्धा अनुसार शुक्लपक्ष में संक्ल्प लेकर उठाते हैं, जैसे -21 मंगलवार व्रत, 31 मंगलवार व्रत, 51 मंगलवार, पूर्ण उपवास व्रत, साप्ताहिक मंगलवार व्रत इत्यादि। व्रत का उद्देश्य एक ही है - भक्ति, शक्ति और संकल्प द्वारा हनुमान जी की कृपा प्राप्त करना।
व्रत आहार व नियम
हर व्रत संयम और शुद्धता का प्रतीक होता है, इसीलिए मान्यता के अनुसार उसमें तामसिक भोजन वर्जित होता है। फल, दूध, नारियल पानी, मूँगफली, मखाना, साबूदाना आदि फलाहार ही उत्तम है। कुछ क्षेत्रों में सिर्फ एक समय सात्विक भोजन किया जाता है, साथ ही ब्रह्मचर्य का पालन अनिवार्य माना गया है। हनुमान जी को मीठा पुआ, बूंदी और गुड़-चना का भोग लगाने की और व्रत के दौरान नमक का प्रयोग वर्जित रखने की प्रथा भी है।
व्रत की विधि
मंगलवार की सुबह स्नान करने के बाद श्रद्धा से व्रत का संकल्प लेकर पूजा प्रारंभ करें। पूजन स्थान को स्वच्छ रखें और चौकी पर हनुमान जी की मूर्ति, चित्र या यंत्र स्थापित करें, या फिर मंदिर मे जाकर चोला (सिंदूर व चमेली तेल), लाल पुष्प, तुलसी, गुड़-चना, लड्डू, नारियल अर्पित करें। धूप-दीप, नैवेद्य सहित षोडशोपचार पूजन करें। “ॐ हं हनुमत्यै नमः” मंत्र का जाप करें साथ ही सुन्दरकाण्ड, हनुमान चालीसा तथा व्रत कथा का पाठ करें और अंत में गाय को रोटी, गुड़ और चना खिलाएँ। दिनभर मन में सात्त्विकता, संयम, सत्य, शांति और सेवा बनाए रखें।
व्रत उद्यापन
व्रत की पूर्णता 21, 31, 51 अथवा निर्धारित संख्या पूर्ण होने पर की जाती है। उद्यापन में, आचार्य या ब्राह्मण को निमंत्रण देकर श्रध्दा अनुसार हनुमान जी को चोला (सिंदूर-चमेली तेल) चढ़ाया जाता है। लड्डू व बूंदी का भोग लगाया जाता है, षोडशोपचार पूजन और हवन किया जाता है। “ॐ हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट्” मंत्र से 108 आहुतियाँ दी जाती हैं साथ ही सुन्दरकाण्ड और हनुमान चालीसा का पाठ किया जाता है। ब्राह्मण भोजन और अपने सामर्थ्य के अनुसार दक्षिणा देकर इस व्रत का उद्यापन पूर्ण माना जाता है।
यह व्रत केवल उपवास नहीं, बल्कि, संकल्प, भक्ति, और अनुशासन का संगम है। यह मन को स्थिर करता है, विचारों को शुद्ध करता है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा प्रवाहित करता है। भय, भ्रम और अवसाद की स्थिति में हनुमान व्रत मन में शक्ति और विश्वास जगाता है।