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25 नवंबर को विवाह पंचमी, जानें इस दिन की महिमा !

मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी।।

दीन दयाल बिरिदु संभारी। हरहु नाथ मम संकट भारी।।

 

अर्थ – सभी तरह के मंगल करने वाले और अमंगल को हरने वाले महाराज दशरथ के पुत्र भगवान श्रीराम हैं । हे प्रभु, आप दीन-दुखियों पर दया करने वाले हैं, कृपा कर मेरे जीवन के संकटों को दूर कीजिए।

 

विवाह पंचमी का पावन दिन भगवान श्रीराम और माता सीता के दिव्य मिलन का प्रतीक है। इसी दिन मिथिला नगरी में सिया-राम का पवित्र विवाह हुआ था, जिसने प्रेम, मर्यादा और धर्म का सुंदर उदाहरण प्रस्तुत किया था। कहा जाता है कि इस दिन भगवान श्रीराम और माता सीता के विवाह का स्मरण करने से जीवन में शुभता आती है और सभी संकट दूर होते हैं । यह दिन हमें सिखाता है कि सच्चे प्रेम में त्याग, समर्पण और विश्वास का भाव होना चाहिए। विवाह पंचमी का पर्व हमें सिया-राम के आदर्श दांपत्य की याद दिलाता है, जहाँ प्रेम में मर्यादा और वचन में धर्म था। इस दिन हम सभी को प्रभु श्रीराम से यही प्रार्थना करनी चाहिए कि वो हमारे जीवन से अमंगल को हरकर मंगल का प्रकाश फैलाएँ और हमारे मन में भक्ति, करुणा और धैर्य का भाव जगाएँ। 

 

क्यों नहीं करते विवाह पंचमी पर विवाह ?

मार्गशीर्ष महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि इस वर्ष 25 नवंबर को  मनायी जाएगी ।  माना जाता है कि विवाह पंचमी के दिन आमतौर पर विवाह नहीं किये जाते क्योंकि बहुत से लोग मानते हैं कि भगवान राम और माता सीता को विवाह के बाद कई कष्टों का सामना करना पड़ा, जैसे - वनवास, अग्निपरीक्षा और विरह का दर्द । हां, इस दिन सीताराम सरकार का ध्यान करते हुए पूजन अवश्य किया जाता है।

 

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार धार्मिक महत्व

विवाह पंचमी का दिन न सिर्फ सिया-राम के विवाह का प्रतीक है, बल्कि इसी दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने अवधी में रामचरितमानस की रचना पूरा की थी।  इसलिए इस दिन को ‘रामकथा सिद्ध दिवस’ भी कहा जाता है। अयोध्या, जनकपुर और पूरे मिथिलांचल में इस दिन बहुत भव्य आयोजन होते हैं जिसमें भगवान श्रीराम और माता सीता की शोभायात्रा निकलती है । अयोध्या में राम बारात निकलती है और मंदिरों में भजन-कीर्तन व रामचरितमानस का अखंड पाठ किया जाता है। साथ ही मान्यता है कि विवाह पंचमी के दिन श्रीराम और माता सीता की पूजा करने और रामचरितमानस की चौपाइयों का पाठ करने से मनुष्य को मनचाहा फल प्राप्त होता है । एक मान्यता यह भी है कि इस दिन किया गया पूजन विवाह में आने वाली बाधाओं को दूर करता है और जीवन में प्रेम, शांति और समर्पण का आशीर्वाद मिलता है।

 

:- वर्तिका श्रीवास्तव  

 

 

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मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी।।

दीन दयाल बिरिदु संभारी। हरहु नाथ मम संकट भारी।।

 

अर्थ – सभी तरह के मंगल करने वाले और अमंगल को हरने वाले महाराज दशरथ के पुत्र भगवान श्रीराम हैं । हे प्रभु, आप दीन-दुखियों पर दया करने वाले हैं, कृपा कर मेरे जीवन के संकटों को दूर कीजिए।

 

विवाह पंचमी का पावन दिन भगवान श्रीराम और माता सीता के दिव्य मिलन का प्रतीक है। इसी दिन मिथिला नगरी में सिया-राम का पवित्र विवाह हुआ था, जिसने प्रेम, मर्यादा और धर्म का सुंदर उदाहरण प्रस्तुत किया था। कहा जाता है कि इस दिन भगवान श्रीराम और माता सीता के विवाह का स्मरण करने से जीवन में शुभता आती है और सभी संकट दूर होते हैं । यह दिन हमें सिखाता है कि सच्चे प्रेम में त्याग, समर्पण और विश्वास का भाव होना चाहिए। विवाह पंचमी का पर्व हमें सिया-राम के आदर्श दांपत्य की याद दिलाता है, जहाँ प्रेम में मर्यादा और वचन में धर्म था। इस दिन हम सभी को प्रभु श्रीराम से यही प्रार्थना करनी चाहिए कि वो हमारे जीवन से अमंगल को हरकर मंगल का प्रकाश फैलाएँ और हमारे मन में भक्ति, करुणा और धैर्य का भाव जगाएँ। 

 

क्यों नहीं करते विवाह पंचमी पर विवाह ?

मार्गशीर्ष महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि इस वर्ष 25 नवंबर को  मनायी जाएगी ।  माना जाता है कि विवाह पंचमी के दिन आमतौर पर विवाह नहीं किये जाते क्योंकि बहुत से लोग मानते हैं कि भगवान राम और माता सीता को विवाह के बाद कई कष्टों का सामना करना पड़ा, जैसे - वनवास, अग्निपरीक्षा और विरह का दर्द । हां, इस दिन सीताराम सरकार का ध्यान करते हुए पूजन अवश्य किया जाता है।

 

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार धार्मिक महत्व

विवाह पंचमी का दिन न सिर्फ सिया-राम के विवाह का प्रतीक है, बल्कि इसी दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने अवधी में रामचरितमानस की रचना पूरा की थी।  इसलिए इस दिन को ‘रामकथा सिद्ध दिवस’ भी कहा जाता है। अयोध्या, जनकपुर और पूरे मिथिलांचल में इस दिन बहुत भव्य आयोजन होते हैं जिसमें भगवान श्रीराम और माता सीता की शोभायात्रा निकलती है । अयोध्या में राम बारात निकलती है और मंदिरों में भजन-कीर्तन व रामचरितमानस का अखंड पाठ किया जाता है। साथ ही मान्यता है कि विवाह पंचमी के दिन श्रीराम और माता सीता की पूजा करने और रामचरितमानस की चौपाइयों का पाठ करने से मनुष्य को मनचाहा फल प्राप्त होता है । एक मान्यता यह भी है कि इस दिन किया गया पूजन विवाह में आने वाली बाधाओं को दूर करता है और जीवन में प्रेम, शांति और समर्पण का आशीर्वाद मिलता है।

 

:- वर्तिका श्रीवास्तव