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सोमवार व्रत: शिव भक्ति का पवित्र संकल्प

हिन्दू धर्म में सोमवार का दिन भगवान शिव के प्रति समर्पण और भक्ति का प्रतीक माना जाता है। यह व्रत न केवल आध्यात्मिक शांति देता है, बल्कि जीवन की कई बाधाओं और मानसिक अशांतियों को भी दूर करता है। सोलह सोमवार से लेकर, साप्ताहिक व्रत तक, हर रूप में शिवजी की कृपा अपार मानी गई है। आस्था और विश्वास के साथ किया गया यह व्रत व्यक्ति के जीवन में सुख, सौभाग्य और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है । आइए जानते हैं सोमवार व्रत का महत्व, विधि और इसके पीछे छिपा आध्यात्मिक संदेश।

 

व्रत का महत्व

सोमवार का व्रत भगवान शिव की विशेष कृपा दिलाता है। इस व्रत से वैवाहिक जीवन की समस्याएँ, मन की अशांति और बाधाएँ दूर होती हैं। पुरुषों को पुत्र-पौत्र तथा स्त्रियों को अखंड सौभाग्य प्राप्त होता है। यह व्रत मन, घर-परिवार और रिश्तों में शांति लाता है। धर्मग्रंथों के अनुसार श्रावण, कार्तिक, चैत्र, वैशाख और मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष से यह व्रत शुरू करना शुभ माना गया है।

 

व्रत के प्रकार

धार्मिक ग्रंथों में सोमवार व्रत के कई रूप बताए गए हैं, जैसे.....सोलह सोमवार व्रत, अष्ट सोमवार व्रत, एकभुक्त सोमवार व्रत (दिन में एक बार फलाहार), नक्त सोमवार व्रत (सूर्यास्त के बाद भोजन) एवं साधारण सोमवार व्रत । हर व्रत का अपना विधान और कथा होती है, लेकिन सभी का उद्देश्य भगवान शिव की कृपा प्राप्त करना ही है।

 

व्रत के आहार व नियम

अधिकतर लोग सोमवार का व्रत तृतीय प्रहर यानी दोपहर बाद तक रखते हैं। श्रावण मास में व्रत रखने वाले आमतौर पर नक्त भोज करते हैं यानी सूर्यास्त के बाद ही भोजन करते हैं। एकभुक्त व्रत में दिन में सिर्फ एक बार फलाहार लिया जाता है। सामान्य सोमवार व्रत में फल, दूध, मीठा या सात्विक भोजन लिया जा सकता है।

 

व्रत की विधि

सोमवार की सुबह स्नान कर सफेद वस्त्र धारण करें। शिवजी की पूजा का संकल्प लें जिसमें स्वास्थ्य, शांति और परिवार की कुशलता के लिए व्रत रखने का संकल्प हो। किसी शिवालय में जाकर शिवजी का ध्यान करें और उन्हें सफेद फूल, विशेष रूप से चम्पा, कुन्द, मन्दार आदि अर्पित करें। शिवजी पर जल, दूध, गंगा जल चढ़ाएँ और ‘ॐ नमः शिवाय’ या ‘महामृत्युंजय मंत्र’ का जाप करें। शिवजी का षोडशोपचार पूजन करें अर्थात धूप, दीप, नैवेद्य, जल, पुष्प आदि अर्पित करें। पूजा के बाद सोमवार व्रत कथा अवश्य पढ़ें या सुनें। दिनभर मन को शांत रखें, झूठ, क्रोध, निंदा और बुरे विचारों से दूर रहें।

 

व्रत उद्यापन

व्रत के एक वर्ष या चौदह वर्ष पूरे होने पर उद्यापन किया जाता है। उद्यापन का अर्थ है व्रत को विधि-विधान से समाप्त करना। उद्यापन में आचार्य या किसी विद्वान ब्राह्मण की मदद ली जाती है। भगवान शिव-पार्वती जी की की पूजा की जाती है। बिल्वपत्र, धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित किए जाते हैं। घी, तिल, चावल आदि से हवन किया जाता है। अंत में ब्राह्मण को दान देकर आशीर्वाद लिया जाता है। इससे व्रत पूर्ण माना जाता है और शिवजी प्रसन्न होकर मनोकामनाएँ पूर्ण करते हैं।

 

शिव सोमवार व्रत भक्तों के मन को शांति और विश्वास देता है। यह व्रत शिवजी की कृपा पाने का सरल और सुंदर माध्यम है। चाहे जीवन में परेशानियाँ हों, मन में उलझनें हों या मनोकामना पूरी करनी हो, सोमवार व्रत सदियों से शिवभक्ति का आधार रहा है और सच्ची श्रद्धा से किया गया व्रत हमेशा शुभ फल देता है।

 

सोमवार व्रत केवल एक धार्मिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि मन और आत्मा को अनुशासित करने का एक साधन है। यह हमें संयम, भक्ति, पवित्रता और सकारात्मकता के मार्ग पर चलना सिखाता है। शिवजी के चरणों में रखी गई छोटी-सी श्रद्धा भी बड़े-बड़े संकट हल कर देती है यही सोमवार व्रत की शक्ति है। जब मन सच्चा हो, संकल्प पवित्र हो और भक्ति स्थिर हो, तब शिवजी की कृपा अवश्य प्राप्त होती है। वैसे, भी शिव जी भोले हैं । जरा सी आराधना से प्रसन्न हो जाते हैं।

 

:- वर्तिका श्रीवास्तव

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हिन्दू धर्म में सोमवार का दिन भगवान शिव के प्रति समर्पण और भक्ति का प्रतीक माना जाता है। यह व्रत न केवल आध्यात्मिक शांति देता है, बल्कि जीवन की कई बाधाओं और मानसिक अशांतियों को भी दूर करता है। सोलह सोमवार से लेकर, साप्ताहिक व्रत तक, हर रूप में शिवजी की कृपा अपार मानी गई है। आस्था और विश्वास के साथ किया गया यह व्रत व्यक्ति के जीवन में सुख, सौभाग्य और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है । आइए जानते हैं सोमवार व्रत का महत्व, विधि और इसके पीछे छिपा आध्यात्मिक संदेश।

 

व्रत का महत्व

सोमवार का व्रत भगवान शिव की विशेष कृपा दिलाता है। इस व्रत से वैवाहिक जीवन की समस्याएँ, मन की अशांति और बाधाएँ दूर होती हैं। पुरुषों को पुत्र-पौत्र तथा स्त्रियों को अखंड सौभाग्य प्राप्त होता है। यह व्रत मन, घर-परिवार और रिश्तों में शांति लाता है। धर्मग्रंथों के अनुसार श्रावण, कार्तिक, चैत्र, वैशाख और मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष से यह व्रत शुरू करना शुभ माना गया है।

 

व्रत के प्रकार

धार्मिक ग्रंथों में सोमवार व्रत के कई रूप बताए गए हैं, जैसे.....सोलह सोमवार व्रत, अष्ट सोमवार व्रत, एकभुक्त सोमवार व्रत (दिन में एक बार फलाहार), नक्त सोमवार व्रत (सूर्यास्त के बाद भोजन) एवं साधारण सोमवार व्रत । हर व्रत का अपना विधान और कथा होती है, लेकिन सभी का उद्देश्य भगवान शिव की कृपा प्राप्त करना ही है।

 

व्रत के आहार व नियम

अधिकतर लोग सोमवार का व्रत तृतीय प्रहर यानी दोपहर बाद तक रखते हैं। श्रावण मास में व्रत रखने वाले आमतौर पर नक्त भोज करते हैं यानी सूर्यास्त के बाद ही भोजन करते हैं। एकभुक्त व्रत में दिन में सिर्फ एक बार फलाहार लिया जाता है। सामान्य सोमवार व्रत में फल, दूध, मीठा या सात्विक भोजन लिया जा सकता है।

 

व्रत की विधि

सोमवार की सुबह स्नान कर सफेद वस्त्र धारण करें। शिवजी की पूजा का संकल्प लें जिसमें स्वास्थ्य, शांति और परिवार की कुशलता के लिए व्रत रखने का संकल्प हो। किसी शिवालय में जाकर शिवजी का ध्यान करें और उन्हें सफेद फूल, विशेष रूप से चम्पा, कुन्द, मन्दार आदि अर्पित करें। शिवजी पर जल, दूध, गंगा जल चढ़ाएँ और ‘ॐ नमः शिवाय’ या ‘महामृत्युंजय मंत्र’ का जाप करें। शिवजी का षोडशोपचार पूजन करें अर्थात धूप, दीप, नैवेद्य, जल, पुष्प आदि अर्पित करें। पूजा के बाद सोमवार व्रत कथा अवश्य पढ़ें या सुनें। दिनभर मन को शांत रखें, झूठ, क्रोध, निंदा और बुरे विचारों से दूर रहें।

 

व्रत उद्यापन

व्रत के एक वर्ष या चौदह वर्ष पूरे होने पर उद्यापन किया जाता है। उद्यापन का अर्थ है व्रत को विधि-विधान से समाप्त करना। उद्यापन में आचार्य या किसी विद्वान ब्राह्मण की मदद ली जाती है। भगवान शिव-पार्वती जी की की पूजा की जाती है। बिल्वपत्र, धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित किए जाते हैं। घी, तिल, चावल आदि से हवन किया जाता है। अंत में ब्राह्मण को दान देकर आशीर्वाद लिया जाता है। इससे व्रत पूर्ण माना जाता है और शिवजी प्रसन्न होकर मनोकामनाएँ पूर्ण करते हैं।

 

शिव सोमवार व्रत भक्तों के मन को शांति और विश्वास देता है। यह व्रत शिवजी की कृपा पाने का सरल और सुंदर माध्यम है। चाहे जीवन में परेशानियाँ हों, मन में उलझनें हों या मनोकामना पूरी करनी हो, सोमवार व्रत सदियों से शिवभक्ति का आधार रहा है और सच्ची श्रद्धा से किया गया व्रत हमेशा शुभ फल देता है।

 

सोमवार व्रत केवल एक धार्मिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि मन और आत्मा को अनुशासित करने का एक साधन है। यह हमें संयम, भक्ति, पवित्रता और सकारात्मकता के मार्ग पर चलना सिखाता है। शिवजी के चरणों में रखी गई छोटी-सी श्रद्धा भी बड़े-बड़े संकट हल कर देती है यही सोमवार व्रत की शक्ति है। जब मन सच्चा हो, संकल्प पवित्र हो और भक्ति स्थिर हो, तब शिवजी की कृपा अवश्य प्राप्त होती है। वैसे, भी शिव जी भोले हैं । जरा सी आराधना से प्रसन्न हो जाते हैं।

 

:- वर्तिका श्रीवास्तव