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पार्वती संग काशी में क्यों बसे महादेव ? जानें पौराणिक कथा

वाराणसी, आनंदवन या अविमुक्त और विश्वनाथ नगर सहित अन्य कई प्रसिद्ध नाम शिवनगरी काशी से जुड़े हैं। यह पृथ्वी का सबसे प्राचीन और दिव्य तीर्थ माना गया है। तीनों लोकों में काशी के समान कोई अन्य पवित्र स्थान नहीं है। लेकिन क्या आपको जानकारी है भगवान शिव कैलाश छोड़कर पार्वती संग काशी में क्यों बस गए थे?

 

हिंदू धर्म में काशी को सिर्फ एक शहर नहीं, बल्कि एक आस्था, एक भावना और मोक्ष का द्वार माना जाता है। कहते हैं कि यह शहर उतना ही पुराना है जितना खुद समय । यही कारण है कि इसे आनंदवन और मोक्ष नगरी भी कहा गया है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, काशी भगवान शिव का प्रिय धाम है। वो यहां के पुराधिपति हैं । यहां आज भी महादेव माता पार्वती के साथ विराजमान हैं। वेदों, उपनिषदों, पुराणों, और ज्योतिष शास्त्रों में काशी को मोक्षभूमि और शिवस्वरूप नगर कहा गया है। काशी का विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। लेकिन क्या आपको पता है महादेव माता पार्वती के साथ पूरी सृष्टि को छोड़कर काशी में ही आकर क्यों बस गए थे ?

 

पौराणिक कथा के अनुसार, जब भगवान शिव ने माता पार्वती से विवाह किया तो वे उन्हें कैलाश पर्वत पर ले गए। कुछ समय तक सब ठीक रहा, लेकिन फिर पार्वती जी को लगा कि विवाह के बाद भी वह अपने पिता के घर ही रह रही हैं। एक दिन उन्होंने भोलेनाथ से कहा कि हर स्त्री विवाह के बाद अपने पति के घर जाती है, पर मैं तो अब तक अपने पिता के घर ही रह रही हूं। माता पार्वती की यह बात सुनकर भगवान शिव उन्हें लेकर पृथ्वी पर आए और गंगा तट पर बसे दिव्य स्थान काशी को अपना घर बनाया।

 

काशी विश्वनाथ मंदिर में स्वयं महादेव विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग के रूप में विराजमान हैं। यह मंदिर ना केवल श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र है, बल्कि सनातन संस्कृति और अध्यात्म का अद्भुत संगम भी है। मान्यता है कि जो भक्त सच्चे मन से भगवान विश्वनाथ के दर्शन करता है, वह अपने सारे पापों से मुक्त हो जाता है और उसके जीवन में शांति एवं समृद्धि आती है। यही कारण है कि काशी को मोक्ष की नगरी कहा गया है। यहां की गलियां, घाट और मंदिर जीवन और मृत्यु दोनों का संगम हैं।

 

:- रजत द्विवेदी

 

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पार्वती संग काशी में क्यों बसे महादेव ? जानें पौराणिक कथा

वाराणसी, आनंदवन या अविमुक्त और विश्वनाथ नगर सहित अन्य कई प्रसिद्ध नाम शिवनगरी काशी से जुड़े हैं। यह पृथ्वी का सबसे प्राचीन और दिव्य तीर्थ माना गया है। तीनों लोकों में काशी के समान कोई अन्य पवित्र स्थान नहीं है। लेकिन क्या आपको जानकारी है भगवान शिव कैलाश छोड़कर पार्वती संग काशी में क्यों बस गए थे?

 

हिंदू धर्म में काशी को सिर्फ एक शहर नहीं, बल्कि एक आस्था, एक भावना और मोक्ष का द्वार माना जाता है। कहते हैं कि यह शहर उतना ही पुराना है जितना खुद समय । यही कारण है कि इसे आनंदवन और मोक्ष नगरी भी कहा गया है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, काशी भगवान शिव का प्रिय धाम है। वो यहां के पुराधिपति हैं । यहां आज भी महादेव माता पार्वती के साथ विराजमान हैं। वेदों, उपनिषदों, पुराणों, और ज्योतिष शास्त्रों में काशी को मोक्षभूमि और शिवस्वरूप नगर कहा गया है। काशी का विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। लेकिन क्या आपको पता है महादेव माता पार्वती के साथ पूरी सृष्टि को छोड़कर काशी में ही आकर क्यों बस गए थे ?

 

पौराणिक कथा के अनुसार, जब भगवान शिव ने माता पार्वती से विवाह किया तो वे उन्हें कैलाश पर्वत पर ले गए। कुछ समय तक सब ठीक रहा, लेकिन फिर पार्वती जी को लगा कि विवाह के बाद भी वह अपने पिता के घर ही रह रही हैं। एक दिन उन्होंने भोलेनाथ से कहा कि हर स्त्री विवाह के बाद अपने पति के घर जाती है, पर मैं तो अब तक अपने पिता के घर ही रह रही हूं। माता पार्वती की यह बात सुनकर भगवान शिव उन्हें लेकर पृथ्वी पर आए और गंगा तट पर बसे दिव्य स्थान काशी को अपना घर बनाया।

 

काशी विश्वनाथ मंदिर में स्वयं महादेव विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग के रूप में विराजमान हैं। यह मंदिर ना केवल श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र है, बल्कि सनातन संस्कृति और अध्यात्म का अद्भुत संगम भी है। मान्यता है कि जो भक्त सच्चे मन से भगवान विश्वनाथ के दर्शन करता है, वह अपने सारे पापों से मुक्त हो जाता है और उसके जीवन में शांति एवं समृद्धि आती है। यही कारण है कि काशी को मोक्ष की नगरी कहा गया है। यहां की गलियां, घाट और मंदिर जीवन और मृत्यु दोनों का संगम हैं।

 

:- रजत द्विवेदी