बुधवार व्रत: विघ्नहर्ता-मंगलकर्ता श्री गणेश की आराधना
भगवान गणेश हिन्दू धर्म में प्रथम पूज्य देवता माने जाते हैं और हर शुभ कार्य से पहले उनके नाम का स्मरण होता है। किसी भी धार्मिक कार्य जैसे- पूजा, हवन या अनुष्ठान की शुरुआत सबसे पहले गणेश जी के स्मरण से होती है। बुधवार का दिन गणेश जी को समर्पित है और इसीलिए बुधवार के दिन गणेश जी की कृपा की प्राप्ति के लिए व्रत रखा जाता है। आइए बुधवार व्रत के महत्व, इसकी विधि और इससे मिलने वाला आध्यात्मिक लाभ के बारे में जानते हैं।
व्रत का महत्व
बुधवार का व्रत बुद्धि, ज्ञान, करियर, व्यापार और जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए किया जाता है। उनकी आराधना से एकाग्रता बढ़ती है, व्यापार और करियर में प्रगति होती है, मन शांत और विचार स्पष्ट होते हैं, जीवन की बाधाएँ दूर होती हैं। भगवान गणेश विघ्नहर्ता और मंगलकर्ता हैं , जो सभी बाधाओं को दूर करके भक्तों को अपनी कृपा प्रदान करते हैं।
यह व्रत सरल है, लेकिन इसका फल अत्यंत महान है। गौरीशंकर पुत्र गणेश जी की कृपा से जीवन में स्थिरता, उजाला और सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है। बुधवार व्रत हमें यही सिखाता है कि जीवन में शुभता तभी आती है जब मन में श्रद्धा, वाणी में मधुरता और कर्म में पवित्रता हो। विघ्नहर्ता गणेश जी का यह व्रत बुद्धि को तेज करता है, निर्णयों में स्पष्टता देता है और हर प्रकार की विघ्न-बाधाओं का नाश करता है। भक्त जब सच्चे मन से इस व्रत का पालन करता है, तो उसके जीवन में ऋद्धि–सिद्धि, सुख–समृद्धि और सौभाग्य का प्रकाश फैलने लगता है। यह व्रत केवल उपवास नहीं बल्कि ज्ञान, संयम और सकारात्मकता का शुभ संगम है। गणपति बप्पा की कृपा से जीवन के सारे मार्ग सुगम हों इसी मंगलभावना के साथ यह पावन व्रत पूर्ण होता है।
व्रत आहार नियम
इस व्रत के दौरान व्यक्ति को एक समय फलाहार करना चाहिए, जिसमें दूध,फल,साबूदाना,मूँगफली,लौकी इत्यादि शामिल किए जा सकते हैं। नमक का सेवन बुधवार व्रत में वर्जित माना गया है और प्रसाद बांटने के बाद ही भोजन करें। शाम को दीप जलाकर भगवान गणेश की आरती करें और फिर सात्त्विक भोजन लेकर व्रत का पारण करें।
व्रत की विधि
मान्यता के अनुसार बुधवार व्रत शुरू करने का सबसे शुभ समय चंद्र मास के शुक्ल पक्ष का पहला बुधवार होता है। एक बार व्रत शुरू करने के बाद इसे अपनी श्रध्दानुसार लगातार 11, 21 या 31 बुधवार तक करना उत्तम माना गया है। व्रत रखने वाले व्यक्ति को सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करना चाहिए जिसके बाद हरे रंग के कपड़े पहनना शुभ माना गया है, क्योंकि हरा रंग बुध ग्रह का प्रतिनिधि है। मंदिर में जाकर पूजा करें या फिर गंगाजल से छिड़काव करके घर के ईशान कोण (उत्तर-पूर्व दिशा) में भगवान की पूजा करें। पूजा आरंभ करने के लिए फल, फूल, बेलपत्र, माला, अगरबत्ती के साथ घी का दीपक जलाएं । भगवान गणेश का दूध, दही, घी, शहद आदि से अभिषेक करें और उनका स्मरण करें। गणेश जी को लाल या पीले वस्त्र, कुमकुम, हल्दी, चंदन, फूल और सिंदूर अर्पित करें और उन्हें 11 दूर्वा की गांठ चढ़ाना अत्यंत शुभ माना गया है। हर बुधवार को मोदक या बेसन के लड्डू का भोग लगाएं। इसके बाद शुद्ध मन से बुधवार व्रत कथा पढ़ें या सुनें । व्रत करने वाला व्यक्ति 108 बार मंत्र का जाप करे, व्रत के दिन गाय को हरा चारा खिलाना भी अत्यंत पुण्यदायी है। साथ ही जरूरतमंदों को हरे वस्त्र, हरी मूंग दाल, इलायची आदि का दान करना चाहिए।
व्रत उद्यापन विधि
घर के ईशान कोण (उत्तर-पूर्व दिशा) या फिर मंदिर में जाकर पूजा करें। पूजा स्थान पर बेल पत्र, फूल और मोदक चढ़ाएँ फिर हवन करें "ॐ गं गणपत्यै नमः" मंत्र से 108 आहुतियाँ दें। पूर्ण होने के बाद ब्राह्मण को दान करें, उन्हें वस्त्र, फल और दक्षिणा दें, भोजन कराएँ और आशीर्वाद प्राप्त करें। अंत में स्वयं प्रसाद ग्रहण करें और व्रत पूर्ण होने की प्रार्थना करें।
बुधवार व्रत: विघ्नहर्ता-मंगलकर्ता श्री गणेश की आराधना
भगवान गणेश हिन्दू धर्म में प्रथम पूज्य देवता माने जाते हैं और हर शुभ कार्य से पहले उनके नाम का स्मरण होता है। किसी भी धार्मिक कार्य जैसे- पूजा, हवन या अनुष्ठान की शुरुआत सबसे पहले गणेश जी के स्मरण से होती है। बुधवार का दिन गणेश जी को समर्पित है और इसीलिए बुधवार के दिन गणेश जी की कृपा की प्राप्ति के लिए व्रत रखा जाता है। आइए बुधवार व्रत के महत्व, इसकी विधि और इससे मिलने वाला आध्यात्मिक लाभ के बारे में जानते हैं।
व्रत का महत्व
बुधवार का व्रत बुद्धि, ज्ञान, करियर, व्यापार और जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए किया जाता है। उनकी आराधना से एकाग्रता बढ़ती है, व्यापार और करियर में प्रगति होती है, मन शांत और विचार स्पष्ट होते हैं, जीवन की बाधाएँ दूर होती हैं। भगवान गणेश विघ्नहर्ता और मंगलकर्ता हैं , जो सभी बाधाओं को दूर करके भक्तों को अपनी कृपा प्रदान करते हैं।
यह व्रत सरल है, लेकिन इसका फल अत्यंत महान है। गौरीशंकर पुत्र गणेश जी की कृपा से जीवन में स्थिरता, उजाला और सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है। बुधवार व्रत हमें यही सिखाता है कि जीवन में शुभता तभी आती है जब मन में श्रद्धा, वाणी में मधुरता और कर्म में पवित्रता हो। विघ्नहर्ता गणेश जी का यह व्रत बुद्धि को तेज करता है, निर्णयों में स्पष्टता देता है और हर प्रकार की विघ्न-बाधाओं का नाश करता है। भक्त जब सच्चे मन से इस व्रत का पालन करता है, तो उसके जीवन में ऋद्धि–सिद्धि, सुख–समृद्धि और सौभाग्य का प्रकाश फैलने लगता है। यह व्रत केवल उपवास नहीं बल्कि ज्ञान, संयम और सकारात्मकता का शुभ संगम है। गणपति बप्पा की कृपा से जीवन के सारे मार्ग सुगम हों इसी मंगलभावना के साथ यह पावन व्रत पूर्ण होता है।
व्रत आहार नियम
इस व्रत के दौरान व्यक्ति को एक समय फलाहार करना चाहिए, जिसमें दूध,फल,साबूदाना,मूँगफली,लौकी इत्यादि शामिल किए जा सकते हैं। नमक का सेवन बुधवार व्रत में वर्जित माना गया है और प्रसाद बांटने के बाद ही भोजन करें। शाम को दीप जलाकर भगवान गणेश की आरती करें और फिर सात्त्विक भोजन लेकर व्रत का पारण करें।
व्रत की विधि
मान्यता के अनुसार बुधवार व्रत शुरू करने का सबसे शुभ समय चंद्र मास के शुक्ल पक्ष का पहला बुधवार होता है। एक बार व्रत शुरू करने के बाद इसे अपनी श्रध्दानुसार लगातार 11, 21 या 31 बुधवार तक करना उत्तम माना गया है। व्रत रखने वाले व्यक्ति को सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करना चाहिए जिसके बाद हरे रंग के कपड़े पहनना शुभ माना गया है, क्योंकि हरा रंग बुध ग्रह का प्रतिनिधि है। मंदिर में जाकर पूजा करें या फिर गंगाजल से छिड़काव करके घर के ईशान कोण (उत्तर-पूर्व दिशा) में भगवान की पूजा करें। पूजा आरंभ करने के लिए फल, फूल, बेलपत्र, माला, अगरबत्ती के साथ घी का दीपक जलाएं । भगवान गणेश का दूध, दही, घी, शहद आदि से अभिषेक करें और उनका स्मरण करें। गणेश जी को लाल या पीले वस्त्र, कुमकुम, हल्दी, चंदन, फूल और सिंदूर अर्पित करें और उन्हें 11 दूर्वा की गांठ चढ़ाना अत्यंत शुभ माना गया है। हर बुधवार को मोदक या बेसन के लड्डू का भोग लगाएं। इसके बाद शुद्ध मन से बुधवार व्रत कथा पढ़ें या सुनें । व्रत करने वाला व्यक्ति 108 बार मंत्र का जाप करे, व्रत के दिन गाय को हरा चारा खिलाना भी अत्यंत पुण्यदायी है। साथ ही जरूरतमंदों को हरे वस्त्र, हरी मूंग दाल, इलायची आदि का दान करना चाहिए।
व्रत उद्यापन विधि
घर के ईशान कोण (उत्तर-पूर्व दिशा) या फिर मंदिर में जाकर पूजा करें। पूजा स्थान पर बेल पत्र, फूल और मोदक चढ़ाएँ फिर हवन करें "ॐ गं गणपत्यै नमः" मंत्र से 108 आहुतियाँ दें। पूर्ण होने के बाद ब्राह्मण को दान करें, उन्हें वस्त्र, फल और दक्षिणा दें, भोजन कराएँ और आशीर्वाद प्राप्त करें। अंत में स्वयं प्रसाद ग्रहण करें और व्रत पूर्ण होने की प्रार्थना करें।