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आज, 17 सितंबर 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने जीवन के 75 वर्ष पूरे कर लिये है । यूं तो अपने लंबे कार्यकाल में उन्होंने भारत, भारतीय और भारतीयता का संदेश पूरी दुनिया तक पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी लेकिन एक विशाल और सांस्कृतिक रूप से बहुलता वाले देश की विरासत को जिस तरह उन्होंने पोषित, परिमार्जित और पुष्पित किया, वह अतुलनीय है । ‘सर्वे भवंतु सुखिन:’ और ‘वसुधैव कुटुंबकम’ के नितांत भारतीय संदेश का उन्होंने वैश्विक मंचों पर पुन:उद्घोष किया।
धार्मिक-सांस्कृतिक पुनरुद्धार –
मोदी सरकार ने अयोध्या, काशी और उज्जैन ही नहीं दूर-दराज के उपेक्षित प्राचीन धार्मिक एवं सांस्कृतिक स्थलों का कायाकल्प में रुचि ली और अपनी सक्रियता से उन्हें नई पहचान दिलाई। इसमें मंदिरों का अधोसंरचना विकास विशेष रूप से उल्लेखनीय है । प्रसिद्ध मंदिरों के पुनर्विकास के कार्य का श्रेय भी उन्हीं के कार्यकाल को जाता है।
मोदी सरकार द्वारा मंदिरों का विकास एक महत्वपूर्ण पहल है, जो सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण, पर्यटन को बढ़ावा देने और स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के उद्देश्य से की जा रही है। विभिन्न सरकारी योजनाओं के माध्यम से देशभर के प्रमुख मंदिरों का नवीनीकरण, आधारभूत ढांचे का विकास और पर्यटक सुविधाओं का विस्तार किया जा रहा है । इनमें प्रमुख हैं –
प्रधानमंत्री पीआरएएसएडी (PRASAD) योजना:
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2014 में शुरू हुई इस योजना का उद्देश्य तीर्थस्थलों और महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों में आधारभूत संरचना का विकास करना है।
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अब तक 27 राज्यों व केन्द्र-शासित प्रदेशों में 1594 करोड़ रुपये की कुल 47 परियोजनाएं मंजूर की गई हैं।
स्वदेश दर्शन योजना:
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इस योजना का उद्देश्य थीम आधारित धार्मिक पर्यटन मार्गों का विकास करना है जैसे - बौद्ध सर्किट, रामायण सर्किट, कृष्ण सर्किट, शिव सर्किट इत्यादि ।
मंदिर पुनर्निर्माण योजना:
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इसके तहत 2013 की प्राकृतिक आपदा के बाद केदारनाथ मंदिर और आसपास के क्षेत्र का पुनर्निर्माण किया गया।
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श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के माध्यम से अयोध्या में मंदिर का निर्माण और आसपास के क्षेत्र का समग्र विकास किया जा रहा है।
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काशी विश्वनाथ मंदिर के आसपास के क्षेत्र के सौंदर्यीकरण और विस्तारीकरण के तहत गंगा घाट से मंदिर तक सीधे मार्ग और आधुनिक सुविधाओं की व्यवस्था की गई।
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उज्जैन में महाकाल ज्योतिर्लिंग मंदिर के विकास के तहत महाकालेश्वर लोक का निर्माण करते हुए दर्शन व्यवस्था, लाइटिंग, लैंडस्केपिंग और अन्य सुविधाओं को बेहतर किया गया।
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त्रिपुरा के प्रसिद्ध और 51 शक्तिपीठों में शामिल त्रिपुरसुंदरी मंदिर को पुनर्विकसित किया गया है।
भारत मंदिरों का देश है । देश में मंदिरों की संख्या और विविधता, धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का महत्वपूर्ण हिस्सा है । मंदिर भक्ति के केंद्र ही नहीं, सनातन संस्कृति के वाहक, आध्यात्मिक ऊर्जा के स्रोत और पारंपरिक संस्कृति के आधार हैं । इसके अतिरिक्त केंद्र सरकार की दृढ़ राजनयिक पहल से 2014 से अब तक 642 प्राचीन मूर्तियां और धरोहर वस्तुएं भारत लौटाई गईं, जिनमें से 578 अकेले अमेरिका से वापस आईं। इसी प्रकार असम के मोइदम को 2024 में विश्व धरोहर सूची में शामिल करने के साथ, देश में सूचीबद्ध स्थलों की कुल संख्या 43 हो गई है। ये स्थल अब न केवल पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र हैं, बल्कि भारत के जीवंत इतिहास के प्रतीक भी हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने भारत की सांस्कृतिक कूटनीति के तहत योग, संगीत, शास्त्रीय कलाओं और परंपराओं को वैश्विक मंचों पर स्थापित किया।
‘विरासत भी, विकास भी’ के नारे के साथ प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में अतीत की सांस्कृतिक संपदा को आधुनिकता के आलोक में संरक्षित और संवर्धित करते हुए नई पीढ़ी को उनसे जोड़ा जा रहा है । इसी कड़ी में ‘ज्ञान भारतम् मिशन’ शुरू किया गया जिसका उद्देश्य भावी पीढ़ियों के लिए भारत की पांडुलिपि विरासत को संरक्षित करना है। इस अभियान के अंतर्गत 25 क्लस्टर, 20 क्षेत्रीय केंद्र और दस उत्कृष्टता केंद्र स्थापित किए जाने हैं। इस तरह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत सांस्कृतिक पुनर्जागरण का साक्षी बन रहा है।