उत्तरप्रदेश में वाराणसी के पास स्थित बौद्ध अनुयायियों की आस्था का केंद्र सारनाथ एक बार फिर चर्चा में है । दरअसल, इस विश्व विख्यात बौद्ध स्तूप को विश्व धरोहर सूची में शामिल करने का प्रयास सरकार द्वारा शुरू किया गया है और इसी प्रक्रिया के तहत यूनेस्को की ओर से नामित पुरातात्विक विशेषज्ञ हबीब रजा हाल ही में सारनाथ पहुंचे । उन्होंने इस दौरान बोधिसत्व की आदमकद प्रतिमा के साथ ही हिंदू गैलरी में रखे शिव द्वारा अंधकासुर वध की प्रतिमा का अवलोकन किया । इसके अलावा विशेषत्र ने पुरातात्विक अवशेषों के साथ ही खुदाई में मिले स्मारकों के संरक्षण की स्थिति से जुड़े फोटोग्राफ को भी देखा । भारत सरकार की ओर से प्रतिनिधित्व कर रहे नेशनल म्यूजियम इंस्टीट्यूट के डा. बीआर मणि विस्तार से सारनाथ के इतिहास के बारे में जानकारी दी।
इस तरह इकट्ठा की गईं सारी जानकारियां, फोटोग्राफ और दस्तावेज एक रिपोर्ट के माध्यम से यूनेस्को को सौंपी जाएगी । वैसे, पुरातत्व विभाग ने भी 500 पेज का डोजियर बनाया हुआ है। अब यदि सारनाथ यूनेस्को की सूची में शामिल होता है तो प्रदेश की ऐसी चौथी धरोहर होगी। अभी प्रदेश में आगरा का ताजमहल, किला और फतेहपुर सीकरी इस सूची में शामिल है। सारनाथ में एक चीज जो सभी पर्यटक जरूर देखना चाहते हैं वह है अशोक स्तंभ। इस स्तंभ को सम्राट अशोक ने बनवाया था। इसके शिखर पर चार शेर की मूर्तियां हैं। इन चारों शेर के नीचे बैल, सिंह, हाथी और अश्व बने हुए हैं। इस स्तंभ के सिंह निशान को देश के राष्ट्रीय चिन्ह के रूप में अपनाया गया है।
सारनाथ एक प्रसिद्ध बौद्ध तीर्थ स्थाल है । यह स्थान बौद्ध और जैन धर्म के तीर्थ यात्रियों के लिए महत्वपूर्ण है। गौतम बुद्ध ने अपना पहला धर्मोपदेश यही दिया था। इस उपदेश को धर्मचक्रप्रवर्तन कहा जाता है । इसीलिए यह बौद्ध धर्म के चार सबसे प्रमुख तीर्थों में से एक है। यहाँ के बौद्ध मठ ध्यान करने के लिये उत्तम स्थल हैं। अब बौद्ध धर्मावलंबियों के इस प्रमुख तीर्थ स्थल सारनाथ में हर साल लाखों लोग आते हैं। बौद्ध धर्म में आस्था रखने वाले लोग अपने जीवन में एक बार यहां जरूर आना चाहते हैं। सारनाथ बौद्ध स्तूपों, खूबसूरत मंदिरों, संग्रहालयों और प्राचीन स्थलों के लिए विश्व विख्यात है। अब यह उत्तर प्रदेश का एक प्रमुख पर्यटक केंद्र बन गया है। काशी-वाराणसी आने वाले तकरीबन सभी पर्यटक यहां जरूर आते हैं।