माता झंडेवाली का प्रसिद्ध मंदिर दिल्ली के करोल बाग में है । पर क्या आप जानते हैं कि माँ वैष्णो देवी के दरबार में भी माँ झंडेवाली की प्रतिमा स्थापित है ? आइए, सबसे पहले जानते हं कि कैसे बना माता का ये भव्य मंदिर ? दरअसल, इस मंदिर के निर्माता और कपड़े के व्यापारी बद्रीदास जी बहुत ही धर्मात्मा व्यक्ति थे। उनके पास धन-सम्पत्ति की कोई कमी नहीं थी। वो गरीबों को खूब दान देते थे और उनकी सेवा किया करते थे। साथ ही वो माता वैष्णो देवी के अनन्य भक्त थे, इसलिए वे हमेशा भगवत भजन व कीर्तन करते रहते थे। इस प्रकार वो बद्री भगत के नाम से पहचाने-जाने लगे। जिस स्थान पर आज ये सफेद संगमरमर का दिव्य मंदिर बना हुआ है वो स्थान उस समय अरावली पर्वत श्रॄंखला के हरे भरे जंगलों से भरा हुआ था। यहां रंग-बिरंगे फूल खिले रहते थे। बद्री भगत यहीं आकर अपनी साधना-आराधना किया करते थे।
एक दिन बद्री भगत जब साधना में लीन थे तब उन्हें अनुभुति हुई कि उस स्थान पर एक प्राचीन मंदिर दबा हुआ है। वो उसे ढूढ़ने के प्रयास में लग गये। बहुत दिनों बाद खुदाई में उन्हें मंदिर के अवशेष मिले जिसमें एक झंडे के नीचे माता की एक प्राचीन मूर्ति थी, लेकिन खोदते वक्त मूर्ति के दोनों हाथ खण्डित हो गए। शास्त्रों में खंडित मूर्ति की पूजा को वर्जित बताया गया है। इसलिए बद्री भगत ने उस मूर्ति को वहीं गुफा में छोड़कर इसके ऊपर नये मंदिर का निर्माण करवाया और देवी की एक नयी मूर्ति स्थापित कर उसकी विधिवत प्राण प्रतिष्ठा करवायी । तब से ये मंदिर श्री बद्री भगत झंडेवाला माता मंदिर के नाम से भी जाना जाने लगा। यहां शिखर पर एक बहुत बडा ध्वज लगाया गया दूर से ही दिखाई देता था। इसी कारण आगे चलकर ये मंदिर झंडेवाला मंदिर के नाम से विख्यात हो गया । वहीं, खुदाई के समय मिली माता की प्रतिमा आज भी मंदिर की गुफा में स्थापित है।