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शरद पूर्णिमा क्यों है इतनी महत्वपूर्ण ?

6 अक्टूबर दिन सोमवार आज है शरद पूर्णिमा। इस दिन चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण होकर अमृत बरसाता है, जिससे ये दिन अध्यात्मिक और स्वास्थ्य की दृष्टि से बहुत लाभकारी बन जाता है। इत दिन रात्रि के पहले से तीसरे पहर तक चंद्रमा की किरणों से अमृत की वर्षा होती है और इस रोशनी में खीर रखकर अगले दिन भगवान श्री राधा कृष्ण को भोग लगा कर सेवन करने की परंपरा है। इससे तन-मन को शुद्धि और शक्ति प्राप्त होती है साथ ही मौसम के बदलाव के कारण होने वाली बीमारियों से लड़ने की शक्ति भी संचित होती है। ऋतु परिवर्तन के साथ ही इस दिन एक विशेष योग भी बन रहा है। उत्तराभाद्रपद नक्षत्र और सर्वार्थ सिद्धि योग का शुभ संयोग हो रहा है।

 

जिसमें शुभ कार्यों में सफलता, मनोकामनाओं की पूर्ति और नकारात्मक प्रभावों का अंत होता है। शरद पूर्णिमा की अमृत वर्षा के कई स्वास्थ्य लाभ हैं जैसे - चंद्रमा की रौशनी में सुई में धागा डालना और बिना पलकें झपकाए कुछ देर चंद्रमा को देखना, आँखों की रौशनी को बढ़ाता है। कुछ समय के लिए हल्के या कम वस्त्रों में चंद्रमा की रौशनी में बैठना स्वास्थ्य के लिए अच्छा माना गया है। यहां तक कि लंका पति रावण भी इसी अमृत रात्रि में दर्पण के जरिये अपने नाभि कुंड में छिपे अमृत को ऊर्जा से परिपूर्ण करता था। शरद पूर्णिमा के दिन वृन्दावन के बांके बिहारी जी श्वेत वस्त्र धारण कर साल में सिर्फ एक दिन ही बांसुरी धारण करते हैं यानि महारास की मुद्रा में होते हैं और रात्रि में निधिवन में महारास रचाते हैं।